khemraj mourya
शिवपुरी। झांसी-कोटा फोरलेन हाईवे पर बना खरई बैरियर राजस्व को चूना लगाने का बड़ा अड्डा बनता जा रहा है और इस पूरे खेल में परिवहन विभाग से लेकर दबंग लोग शामिल हैं जिस कारण खरई बैरियर पर इन दिनों गुंडाराज कायम हो गया है। यहां तैनात अधिकारी, कर्मचारियों द्वारा बैरियर को ठेके पर दे दिया गया है और अवैध रूप से तैनात ये ठेकेदार इस बैरियर से निकलने वाले ट्रांसपोर्टरों को दबंगई दिखा इनसे वसूली में लगे हुए हैं और ओवरलोड वाहनों को साइड से तक निकाला जा रहा है।
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जब भी बैरियर के संबंध में कोई शिकायत की जाती है तो अधिकारियों द्वारा बैरियर वालों को उक्त ट्रांसपोर्टरों के वाहन नंबर व मोबाइल नंबर उपलब्ध करा दिए जाते हैं जिसके बाद उन ट्रांसपोर्टरों के साथ और भी बुरा बर्ताव किया जाता है। यह घटनाक्रम इस बात का प्रतीक है कि किस तरह बैरियर पर तैनात ठेकेदारों और विभागीय अधिकारियों में सांठगांठ है। इस सांठगांठ का सीधा-सीधा असर शासन के राजस्व पर पड़ रहा है, क्योंकि दबंगई दिखा ट्रांसपोर्टरों से जो वसूलियां की जाती है वह टोकन सिस्टम के तहत की जाती है जो रिकार्ड में कहीं भी नहीं दिखाई जाती। कुल मिलाकर इस खरई बैरियर पर अवैध रूप से चल रहे इस काले कारोबार को रोकने न तो प्रशासन आगे आया है और न ही विभागीय अधिकारियों ने अब तक इस संबंध में कोई कार्रवाई की है।
नियमानुसार बैरियर पर तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा निर्धारित दरों पर ही वाहन चालकों से राजस्व की वसूली की जानी चाहिए और इसके लिए वकायदा बैरियर के बाहर सूची भी चस्पा रहती है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही और मिलीभगत के चलते यहां शासकीय राजस्व की वसूली करने कटर तैनात कर दिए गए हैं। ये कटर निर्धारित राजस्व से कई गुना अधिक वसूली वाहन चालकों से करते हैं और जो वाहन चालक अवैध पैसा देने का विरोध करते हैं या पैसा देने में आनाकानी करते हैं तो फिर कटर के साथ खड़े तीन से चार मुस्टंडे आकर न केवल वाहन चालक से गाली-गलोंच करने लगते हैं और तब भी यदि चालक नहीं मानता तो फिर जबरन मारपीट कर उससे रकम की वसूली कर लेते हैं। हालात तब और बदतर हो जाते हैं जब कई घंटों तक इन कटरों द्वारा लंबी कतारें वाहनों की लगा दी जाती हैं और बीच में यदि कोई वाहन चालक पैसा कम देता है या आनाकानी करता है तो फिर पहली लाइन में खड़े वाहनों से लेकर अंतिम वाहन चालक तक घंटों इंतजार बैरियर से गुजरने करना पड़ता है जिससे न केवल जाम की स्थिति वहां निर्मित हो जाती है वरन् कभी-कभी तो दो से तीन घंटे इस बैरियर से गुजरने में छोटे वाहन चालकों के साथ-साथ ट्रक और बड़े वाहन चलाने वाले चालकों को लग जाते हैं। नाम न छापने की शर्त पर बैरियर पर तैनात एक कर्मचारी ने बताया कि बैरियर से होने वाली वसूली को अकेले कटर अपने पास नहीं रख सकते वरन् हर महीने इसका विधिवत बंटवारा किया जाता है जिसमें दो बड़ी राशि के हिस्से अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ नेताओं तक पहुंचते हैं जबकि एक हिस्सा विभागीय अधिकारियों के साथ-साथ बैरियर पर तैनात अधिकारी का होता है और शेष राशि से कटरों का खर्चा चलता है। कुल मिलाकर सामूहिक रूप से अवैध वसूली करने में कटर एक माध्यम बने हुए हैं जिनकी यदि निष्पक्ष जांच-पड़ताल हो जाए तो इसकी पोल खुलकर सामने आ सकती है।
शिकायत पर कार्रवाई नहीं
बैरियर पर कटरों की मारपीट और दुव्र्यवहार का शिकार हुए वाहन चालक जब उनकी शिकायत लेकर थाने पर पहुंचते हैं तो न तो थाना प्रभारी उनकी शिकायतों पर कोई तवज्जो देते और न ही पुलिसकर्मी उनके आवेदन को लेने की जहमत उठाते। हद तो तब हो जाती है जब पुलिसकर्मी ही इन वाहन चालकों के साथ सीधे घटना स्थल पर आ जाते हैं और कटरों के हवाले इन शिकायतकर्ताओं को सौंपकर वापस थाने पहुंच जाते हैं। कुल मिलाकर लुटा-पिटा वाहन चालक जब पुलिस की इस करतूत का सामना करता है तो वह चुप्पी साधकर घटना स्थल से भाग लेने में ही अपनी भलाई समझता है।