महात्मा गांधी स्टेडियम में खेल के अलावा अन्य गतिविधियां वर्जित
लंबे संघर्ष के बाद मिली जीत पर खिलाड़ियों ने जताई ख़ुशी
कलेक्टर का जताया आभार
Syed Javed Ali
मंडला - लम्बे समय बाद लंबित मांग पूरी होने से खिलाड़ियों व खेल प्रेमियों में हर्ष व्याप्त है। खिलाडियों ने इसके लिए जिला कलेक्टर का आभार जताते हुए उनके प्रति आभार ज्ञापित किया है। दरअसल मंडला नगर का एक मात्र खेल मैदान "महात्मा गाँधी स्टेडियम" को लम्बे समय से केवल खेल गतिविधियों के लिए आरक्षित करने की मांग की जा रही थी। खिलाड़ियों की मांग थी कि स्टेडियम में खेल के अतिरिक्त अन्य गतिविधियों को पूर्णतः वर्जित किया जाये। सोमवार को स्टेडियम के सभी प्रवेश द्वारा पर मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा मुख्यमंत्री की घोषणा एवं संचालनालय म. प्र. शासन नगरीय प्रशासन एवं भोपाल के पत्र का हवाला देते हुए सूचना अंकित की गई कि महात्मा गांधी स्टेडियम का उपयोग खेलों के अतिरिक्त अन्य गतिविधियों के लिए वर्जित किया गया है। इस सूचना के अंकित होते ही खिलाडियों में ख़ुशी की लहर दौंड गई। खिलाडी इसे अपनी बड़ी जीत के रूप में देख रहे है।

कभी हॉकी मैदान के नाम से मशहूर इस स्टेडियम में लगातार होने वाले आयोजनों के चलते यह मैदान हॉकी खेलने लायक ही नहीं बचा। मैदान की स्थिति ख़राब होने का असर हॉकी खेल पर पड़ा। धीरे - धीरे हॉकी खिलाडी आने बंद हो गए। मैदान का निचला हिस्सा फुटबॉल मैदान है। हॉकी - फूटबाल मैदान के बीचों बीच क्रिकेट की पिच बनाई जाती है। नए आदेश से खिलाडियों में उम्मीद जगी है। खिलाड़ियों और खेल प्रीमियों के लिए यकीनन यह बड़ी जीत है। इसके कई मायने है। खिलाडी स्टेडियम में न सिर्फ खेल का अभ्यास करते है बल्कि मैदान से पत्थर बीनना, गड्ढे भरना, कांच के टुकड़े बीनना, घांस उगाना, सिंचाई करना जैसे काम भी जिम्मेदारी से करते है। इन्ही वजहों से उनका मैदान से एक भावनात्मक रिश्ता बन जाता है। जब मैदान पर किसी आयोजन के लिए गड्ढे किये जाते है तो खिलाड़ी उसका दर्द खुद महसूस करते है। लम्बे समय से स्टेडियम का दुरूपयोग रोकने की मांग उठती रही है। खिलाड़ियों, खेल संघों और खेल प्रेमियों द्वारा संयुक्त रूप से कई आंदोलन भी किये गए। सबसे बड़ा आंदोलन दिसंबर 2011 में किया गया था, जब स्टेडियम में आयोजित तेंदू पत्ता बोनस वितरण कार्यक्रम का विरोध किया। इस कार्यक्रम में तत्कालीन वन मंत्री सरताज सिंह मुख्य अतिथि थी। खिलाडियों ने नगर के चौराहों पर हॉकी, फुटबॉल और क्रिकेट खेल कर इसका विरोध भी किया। मंत्री के आगमन पर स्टेडियम के मुख्य द्वार पर खिलाडियों ने काले झंडे दिखाते हुए हंगामा किया। स्टेडियम को बचने के लिए जिला खेल मैदान सुरक्षा समिति का गठन शैलेष दुबे की अध्यक्षता में किया गया। इस समिति को पूरे जिले में समर्थन मिला। स्टेडियम बचाने हस्ताक्षर अभियान चलाया गया। प्रशासन ने लम्बी बैठक कर स्टेडियम के विकल्प पर गंभीरता से विमर्श शुरू किया लेकिन नगर पालिका चुनाव के बाद स्थिति फिर पहले जैसे हो गई लेकिन अब जाकर करीब एक दशक की मेहनत रंग लाते दिख रही है।

स्टेडियम के सभी प्रवेश द्वारा पर "मुख्यमंत्री की घोषणा एवं संचालनालय म. प्र. शासन नगरीय प्रशासन एवं भोपाल के पत्र क्र/ यां प्र. 7/ 2007/3654 भोपाल दिनांक 4/12/2007/ एवं जिला दंडाधिकारी मण्डला के पत्र क्र./ सा. लि./ 2011/ 754 मण्डला दिनांक 19/ 2/ 2011 के अनुसार महात्मा गांधी स्टेडियम का उपयोग खेलों के अतिरिक्त अन्य गतिविधियों के लिए वर्जित किया गया है" सूचना अंकित कर दी गई है। इस सूचना के अंकित होने पर मंगलवार को जिला योजना भवन पहुंचकर जूनियर - सीनियर खिलाड़ी, खेल संघों के प्रतिनिधियों ने कलेक्टर से मिलकर उनका आभार जताया। कलेक्टर जगदीश चंद जटिया ने खिलाड़ियों को खेल पर धयान केंद्रित करने को कहा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि खेल मैदान ख़राब नहीं होने दिया जायेगा। राष्ट्रीय पर्वों के अलावा केवल अतिविशिष्ट लोगों के आगमन पर सुरक्षा कारणों के मद्देनज़र ही जरुरत पड़ने पर स्टेडियम दिया जायेगा लेकिन इस बात का पूरा ख्याल रखा जायेगा कि मैदान ख़राब न हो। इस दौरान शैलेष दुबे, चंद्रेश खरे, विमलेश मिश्रा, राकेश तिवारी, रजनीश रंजन उसराठे, समीर बाजपेई, पंकज उसराठे, मयंक अग्रवाल, रुपेश इसरानी, आरिफ शेख, आरिफ खान, सत्यम, जानू जैन, नितिन उसराठे, आकाश बरमैया, राकेश अमपुरी, अनुराग पांडेय, पुनीत सिहानी सहित अनेक जूनियर - सीनियर खिलाड़ी, खेल संघों के प्रतिनिधियों के साथ - साथ खेल प्रेमी उपस्थित थे।