अब सरताज भड़के, कहा जनता चाहती है मैं लड़ूं चुनाव

अब सरताज भड़के, कहा जनता चाहती है मैं लड़ूं चुनाव

भोपाल
उम्मीदवारों का ऐलान होते ही भाजपा में अंदरूनी कलह खुलकर सामने आने लगी है। दो मंत्री और 27 विधायकों के टिकट कटने के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता सरताज सिंह को भी अपने टिकट कटने का डर सता रहा है। दूसरी लिस्ट जारी होने से पहले टिकट को लेकर उनकी बैचेनी बढ़ गई है। वही उन्होंने पार्टी पर आरोप लगाया है मेरी सीट होल्ड करने जैसी स्थिति नहीं थी, लेकिन फिर भी पार्टी द्वारा ऐसा किया गया है, जनता चाहती है कि मै चुनाव लड़ूं। बताते चले कि भाजपा बाबूलाल गौर का टिकट काट चुकी है और उनकी बहू को भी टिकट देने में आना-कानी कर रही है। ऐसे में सरताज सिंह भी पार्टी पर भड़के हुए है और उन्होंने अपनी दावेदारी को लेकर दमदारी दिखाई है।

सरताज सिंह ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि टिकट नहीं मिला तो कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान करुंगा। जनता चाहती है मैं चुनाव लडूं। टिकट नहीं मिला तो सिवनी मालवा जाकर जनता की राय लूंगा। मेरी सीट होल्ड करने जैसी स्थिति नहीं थी। 200 पार की बात महज एक नारा है। बीजेपी की सरकार आई तो यह हमारी उपलब्धि होगी । इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की गोविंदपुरा सीट पर कार्यकर्ताओं ने कृष्णा गौर को प्रत्याशी बनाए जाने की मांग करते हुए जोरदार हंगामा किया था। फिलहाल दोनों ही पार्टी अब तक गोविंदपुरा सीट पर कोई निर्णय नहीं ले पाई है बीजेपी हो या कांग्रेस गोविंदपुरा सीट पर फैसला होल्ड रखा गया है। ऐसे में सिवनी-मालवा पर भी भाजपा द्वारा कोई निर्णय नही लिया गया है।

दरअसल, बीते दिनों उन्होंने भी पार्टी के सामने चुनाव लड़ने की दावेदारी पेश की थी। सरताज सिंह ने इस दौरान कहा था कि पार्टी उन्हें टिकट देगी। 70 साल उम्र के फॉर्मूले को लेकर हुए सवाल पर सरताज सिंह बोलेथे कि 70 पार का पार्टी में कोई फॉर्मूला नहीं है, इसलिए वे दावेदारी कर रहे हैं। पार्टी सर्वे में मेरा नाम है इसलिए मुझे टिकट मिलना चाहिए, मैं चुनाव लड़ने को तैयार हूं। वे पार्टी के साथ हैं लेकिन सिवनीमालवा विधानसभा सीट किसी हाल में नहीं छोड़ेंगे। 

गौरतलब है कि सरताज सिंह बीजेपी के पूर्व दिग्गज नेता रहे हैं। वे शिवराज सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। पिछले दिनों में वे अपने बीजेपी विरोधी बयानों के कारण सुर्ख़ियों में छाए रहे थे। सरताज सिंह सिवनी मालवा विधानसभा सीट से 2008 और 2013 में विधायक रह चुके है। यहां से वे लगातार जीत हासिल करते आए है। 2009 में वे मंत्री भी बने। इसके बाद 2016 में 75 साल से ज्यादा की उम्र होने के कारण उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया था।  2016  में  भाजपा ने 70 की उम्र पार के नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी न देने का तय किया था। इसके बाद उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। तभी से वे अघोषित रूप से पार्टी के खिलाफ हो गए। वे कई बार शिवराज सरकार और उनके काम को लेकर सवाल उठा चुके है।