असम में सिटिजन रजिस्टर जारी, पहली लिस्ट में 40 लाख लोग बाहर
गुवाहाटी
नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन का ड्राफ्ट असम में सोमवार को जारी किया गया। इम मौके पर रजिस्ट्रार जनरल ने कहा कि यह ड्राफ्ट है और इसे अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। जिन लोगों के नाम इस लिस्ट में शामिल नहीं हुए हैं, उन्हें क्लेम करने और आपत्ति दर्ज करने का मौका है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूरी तैयारी है और आम नागरिकों को किसी भी तरह के अफवाह से डरने की जरूरत नहीं है।
रजिस्ट्रार जनरल ने ड्राफ्ट करते हुए कहा, 'मैं बार-बार जोर देकर स्पष्ट करना चाहूंगा कि यह लिस्ट फाइनल नहीं है और क्लेम और आपत्तियां दर्ज की जाएंगी। 3,29,91,380 लोगों ने नागरिकता के लिए आवेदन किया था, जिनमें से 2,89,38, 677 को नागरिकता के लिए योग्य पाया गया है। जिनका नाम इस लिस्ट में नहीं आया है, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। भारत के किसी भी वैध नागरिक के साथ कोई अन्याय नहीं होगा।'
लोगों के पास क्लेम का अभी एक और मौका
ड्राफ्ट जारी करते हुए कहा गया कि ऐसे लोग जिनकी जागरूकता कम है और जिन्हें मदद की जरूरत है उन्हें कैंपेन के जरिए मदद की जाएगी। एनआरसी कोऑर्डिनेटर ने कहा, 'केंद्रीय गृहमंत्री ने स्पष्ट किया है कि इस ड्राफ्ट में लिस्ट के आधार पर अभी किसी माइग्रेंट या जिनके नाम नहीं हैं उन्हें डिटेंशन सेंटर नहीं भेजा जाएगा। अभी लोगों के पास फिर से आवेदन का मौका है।'
नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन के बाद कितने लोगों के बेघर होने की उम्मीद है के सवाल पर रजिस्ट्रार जनरल ने कहा, 'हमारे पास 2011 के जनगणना के आंकड़े हैं। अभी ड्राफ्ट की पहली लिस्ट ही जारी की गई है और यह आखिरी लिस्ट नहीं है। इस आधार पर हम कोई भी आंकड़े आधिकारिक तौर पर जारी नहीं कर सकते हैं।'
मुख्यमंत्री ने की बैठक
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने एनआरसी मसौदा जारी होने के मद्देनजर हाल में उच्चस्तरीय बैठक की और अधिकारियों को सतर्क रहने तथा मसौदे में जिन लोगों के नाम नहीं होंगे, उनके दावों एवं आपत्तियों की प्रक्रिया की व्याख्या एवं मदद के लिए कहा है. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे एनआरसी मसौदा सूची पर आधारित किसी मामले को विदेश न्यायाधिकरण को नहीं भेजें.
लिस्ट में जिनके नाम नहीं, उन्हें फिर मिलेगा मौका
हाजेला ने कहा कि मसौदा में जिनके नाम नहीं होंगे, उनके दावों की पर्याप्त गुंजाइश होगी. उन्होंने कहा कि अगर वास्तविक नागरिकों के नाम दस्तावेज में मौजूद नहीं हों तो वे घबराएं नहीं, बल्कि उन्हें (महिला/पुरूष) संबंधित सेवा केन्द्रों में निर्दिष्ट फॉर्म को भरना होगा. ये फॉर्म सात अगस्त से 28 सितंबर के बीच उपलब्ध होंगे और अधिकारियों को उन्हें इसका कारण बताना होगा कि मसौदा में उनके नाम क्यों छूटे. इसके बाद अगले कदम के तहत उन्हें अपने दावे को दर्ज कराने के लिये अन्य निर्दिष्ट फॉर्म भरना होगा, जो 30 अगस्त से 28 सितंबर तक उपलब्ध रहेगा.
28 सितंबर तक ही भर सकते हैं फॉर्म
आवेदक अपने नामों को निर्दिष्ट एनआरसी सेवा केन्द्र जाकर 30 जुलाई से 28 सितंबर तक सभी कामकाजी दिनों में सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक देख सकते हैं. एनआरसी उच्चतम न्यायालय की निगरानी में अपडेट किया जा रहा है.
इससे पहले गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी कह चुके हैं कि लोगों को इसमें आपत्ति दर्ज कराने के लिए पर्याप्त अवसर दिया जाएगा. राजनाथ ने कहा कि 15 अगस्त 1985 को असम समझौते पर किए गए हस्ताक्षर के अनुसार, एनसीआर को अपडेट किया जा रहा है और पूरी प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार चल रही है. उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत लगातार इस प्रक्रिया की निगरानी कर रही है.
अवैध रूप से रह रहे लोगों की होगी पहचान
बता दें कि असम में अवैध रूप से रह रहे लोगों को निकालने के लिए सरकार ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) अभियान चलाया है. दुनिया के सबसे बड़े अभियानों में गिने जाने वाला यह कार्यक्रम डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट आधार पर है. यानी कि अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहले पहचान की जाएगी फिर उन्हें वापस उनके देश भेजा जाएगा. असम में घुसपैठियों को वापस भेजने के लिए यह अभियान करीब 37 सालों से चल रहा है. 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान वहां से पलायन कर लोग भारत भाग आए और यहीं बस गए. इस कारण स्थानीय लोगों और घुसपैठियों के बीच कई बार हिंसक झड़पें हुईं. 1980 के दशक से ही यहां घुसपैठियों को वापस भेजने के लिए आंदोलन हो रहे हैं.
जनवरी में आया था पहला ड्राफ्ट
बीते जनवरी माह में असम में सरकार ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) का पहला ड्राफ़्ट जारी किया था. इसमें 3.29 करोड़ लोगों में से केवल 1.9 करोड़ को ही भारत का वैध नागरिक माना गया है.