एक मोहर लगाने में बीता आधा साल, तहसील ऑफिस की चौखट पर बेबस जनता

एक मोहर लगाने में बीता आधा साल, तहसील ऑफिस की चौखट पर बेबस जनता

रायपुर
साहब से एक मोहर लगवाने के लिए तहसील में छह माह से चक्कर लगाने की मजबूरी हो गई है। क्या करें, जब भी आते हैं तो यहां के बाबू आवेदन में कुछ न कुछ त्रुटि बताकर लौटा देते हैं। फिर आते तो कुछ और कागज लाने को कहते हैं। यह दर्द निकला रायपुर तहसील में आए पीड़ितों की जुबां से।

कुछ लोग जमीन के सीमांकन-बटांकन कराने के लिए दिए आवेदन की स्थिति जानने आए थे। इनकी पीड़ा थी कि दिन-तारीख सब तय होने के बावजूद पटवारी मौके पर नहीं जाते। 

इसमें से कुछ वोटर आइडी तो कुछ निवास, जाति प्रमाणपत्र पाने के लिए तहसील में बाबुओं को घेरे दिखे। यहां रजिस्टर पलटने के बाद किसी और दिन आने को कहा जा रहा था।

तहसील में दलालों का एक सिंडीकेट सक्रिय है। यह दावे के साथ हर काम कराने के लिए ठेका लेता है। आमजन इनके बहकावे में आ जाते हैं। इनकी शरण में आने वाले फरियादी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इनके जरिए सभी प्रमाण पत्र आसानी से मिल जाते हैं। लेकिन जब खुद प्रयास करते हैं तो काम नहीं होता, सिर्फ भागदौड़ करनी पड़ती है।

पैनकार्ड और निवास प्रमाण पत्र के लिए पहुंचीं ममता साहू, शीला वर्मा ने बताया कि पैनकार्ड के लिए आवेदन करना है, जिस पर मोहर लगवाना है, लेकिन साहब नहीं मिल रहे हैं। कुछ पीड़ित इसलिए नाम नहीं बताए कि काम नहीं होगा। लेकिन दर्द बताया कि निवास और जाति प्रमाण पत्र के लिए चार माह से आ रहे हैं। फिर भी सिर्फ आश्वासन ही मिलता है।

कलेक्टर ने सीमांकन और बटांकन के लिए रायपुर जिले की सभी तहसीलों में राजस्व विभाग के अधिकारियों को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी है। 14 जनवरी के आदेश के बाद अभी तक कितने सीमांकन और बटांकन के प्रकरण सुलझाए गए इसकी अद्यतन जानकारी अपडेट नहीं हो सकी है। जबकि इसकी रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।

हैरतवाली बात है कि फील्ड में राजस्व निरीक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। इसके बावजूद पुराने करीब 24 हजार सीमांकन और बटांकन के प्रकरण आज भी लंबित है। जबकि अब छोटे भूखंडों के सीमांकन और बटांकन करने की छूट दे दी गई है। नए प्रकरणों के आने की गति भी बढ़ी है।