एम्स में बिगड़े हालात, स्ट्रेचर, व्हीलचेयर पर आॅक्सीजन के सहारे मरीज

भोपाल
कोरोना के कारण पूरे शहर में कोहराम मचा हुआ है। मरीजों को अस्पतालों में आॅक्सीजन सुविधा युक्त बिस्तर नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में गंभीर मरीजों को अपना जीवन बचाने के लिए आॅक्सीजन सिलेंडर के सहारे रहकर बिस्तर खाली होने का इंतजार करना पड़ रहा है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स भोपाल) में कोरोना के गंभीर मरीजों का हाल ऐसा है कि कोविड इमरजेंसी परिसर में मरीज आॅक्सीजन सिलेंडर के सहारे स्ट्रेचर, व्हीलचेयर और कुर्सी पर ही आॅक्सीजन लगाकर जगह मिलने का इंतजार करते देखे जा रहे हैं। डॉक्टरों की मानें तो वे यहां पहुंचे हर मरीज को भर्ती करने और सुरक्षित उपचार के लिए प्रयास करते हैं लेकिन बिस्तरों व वेंटिलेटर की कमी बड़ी चुनौती बन रही है।
कोरोना के इलाज में सबसे अहम आॅक्सीजन की किल्लत लगातार बढ़ रही है। इसी के चलते एम्स भोपाल में कोरोना मरीजों के परिजनों से एक लिखित सहमति पत्र लिया जा रहा है कि यदि आॅक्सीजन की कमी के कारण मरीज की मृत्यु होती है तो अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर इसके लिए जिम्मेवार नहीं होंगे। इधर एम्स प्रबंधन का कहना है कि व्यवस्था जिला प्रशासन के अधिकारी देख रहे हैं ऐसे में इन सवालों के जवाब भी वही देंगे।
भोपाल में आज मिले 1709 कोरोना मरीज, ठीक हुए 1684
राजधानी में कोरोना की दूसरी लहर के बीच एक अच्छी खबर सामने आई है। दूसरी लहर में एक दिन में सबसे ज्यादा मरीज रिकवर हुए हैं। भोपाल में एक दिन में मिलने वाले मरीजों का आंकड़ा 1709 रहा। वहीं, 1684 कोरोना मरीज एक दिन में रिकवर हुए हैं। ऐसे में एक दिन में मात्र 25 लोगों का अंतर रहा कोरोना मरीज और रिकवर होने वाले मरीजों के बीच में। इससे प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग काफी उत्साहित है। शहर में वर्तमान में 9057 सक्रिय मरीज हैं। हालांकि शहर में जिस तेजी से कोरोना संक्रमण फैल रहा है, उससे लोग भयभीत होकर घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं। इसका असर अब वैक्सीनेशन के काम में भी देखा जा रहा है। शहर में अब वैक्सीनेशन का काम बहुत धीमा हो गया है।