ओवैसी ने इमरान से कहा, भारत से सीखो अल्पसंख्यकों का हित

ओवैसी ने इमरान से कहा, भारत से सीखो अल्पसंख्यकों का हित

नई दिल्ली 
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन औवैसी ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के भारत पर दिए बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि खान को समावेशी राजनीति और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के बारे में भारत से सीखना चाहिए। बता दें कि इमरान खान ने बॉलिवुड ऐक्टर नसीरुद्दीन शाह के एक बयान की तरफ इशारा करते हुए कहा था कि भारत में अल्पसंख्यकों को समान दर्जा नहीं है। 

इमरान खान के बयान को लेकर औवैसी ने ट्वीट किया, 'पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक, सिर्फ मुस्लिम राष्ट्रपति बन सकता है। भारत वंचित तबकों से आने वाले कई राष्ट्रपतियों को देख चुका है। खान साहब के लिए यह सही वक्त है कि वह हमसे समावेशी राजनीति और अल्पसंख्यक अधिकारों के बारे में कुछ सीख सकें।' 

नकवी बोले- सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को 
इमरान खान के बयान पर अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि जुल्म और आतंकवाद की जमीन पर खून की खेती करने वाले पाकिस्तान का अल्पसंख्यक अधिकार का ज्ञान देना 'सौ चूहे खा के बिल्ली हज को चली' जैसी बात है। नकवी ने संवाददाताओं से कहा कि 1947 में अस्तित्व में आने के बाद से ही पाकिस्तन अल्पसंख्यकों के संवैधानिक, लोकतांत्रिक एवं धार्मिक अधिकारों को बेदर्दी से कुचलने का गुनाहगार रहा है, जिसको लेकर पूरे विश्व ने समय-समय पर चिंता व्यक्त की है। 

क्या कहा था इमरान ने? 
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार के 100 दिन पूरे होने के मौके पर शनिवार को लाहौर में एक कार्यक्रम के दौरान इमरान खान ने शाह के बयान की आड़ में भारत पर हमला बोला था। इमरान ने कहा कि अब तो भारत में भी लोग कहने लगे हैं कि वहां अल्पसंख्यकों के साथ समान व्यवहार नहीं होता। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिखाएंगे कि अल्पसंख्यकों के साथ कैसा बर्ताव किया जाता है। 

नसीरुद्दीन भी इमरान पर भड़के 
इमरान खान के बयान से भड़के नसीरुद्दीन शाह ने भी उन्हें नसीहत दी है। शाह ने द संडे एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में कहा, 'मुझे लगता है कि मिस्टर खान को सिर्फ उन मुद्दों पर ही बात करनी चाहिए जो उनके देश से संबंधित हैं, न कि उन मुद्दों पर जिनका उनसे वास्ता ही नहीं है। हम पिछले 70 सालों से एक लोकतंत्र हैं और जानते हैं कि हमें अपनी देखभाल कैसे करनी है।'