कच्चे तेल ने इन 5 सेक्टरों का बिगाड़ा खेल

नई दिल्ली
कच्चे तेल यानी क्रूड की महंगाई का असर किचन से लेकर वाहन और विमान कंपनियों के बजट पर भी हो रहा है। इससे एक ओर कंपनियां अपनी परिचालन लागत बढ़ाने के लिए मजबूर हैं। वहीं दूसरी ओर आम लोगों को अपने किचन के बजट को संतुलित करने के लिए कई जरूरी खर्चों में कटौती करनी पड़ रही है। विमान कंपनियों के खर्च में करीब 40 फीसदी हिस्सा विमान ईंधन का होता है। पिछले साल जुलाई में कच्चा तेल 43 डॉलर प्रति बैरल था जो मौजूदा समय में बढ़कर 73 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। कोरोना संकट की वजह से कंपनियां किराया बढ़ाने की स्थिति में भी नहीं हैं। ऐसे में उनकी स्थिति खराब होती जा रही है। इसका नुकसान उनके निवेशकों को भी हो रहा है। स्पाइसजेट का शेयर कोरोना पूर्व काल की तुलना में 33 फीसदी कम पर कारोबार कर रहा है। इंडिगो की कमाई भी घटी है।
वाहन बिक्री पर असर
महंगे ईंधन की वजह से वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में गिरावट आ रही है। मालभाड़ा की लागत 10 फीसदी से अधिक बढ़ चुकी है। एंबिट कैपिटल के एनालिस्ट (ऑटो) बासुदेब बनर्जी का कहना है कि ट्रकों की लागत का 40 से 50 फीसदी तेल का होता है। इससे उनपर किराया बढ़ाने का दबाव है, लेकिन बाजार में मौजूदा सुस्त मांग को देखते हुए ऐसा करने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में नए वाहन की मांग घटने के साथ मौजूदा वाहन का खर्च निकलना भी मुश्किल हो रहा है। ईंधन महंगा होने के बाद अंतिम रूप से उपभोक्ताओं की जेब ही हल्की होती है। लागत बढ़ने से रोजमर्रा के इस्तेमाल होने वाले समान (एफएमसीजी) लेकर टीवी-फ्रीज जैसे कंज्यूमर ड्यूरेबल महंगे होते जा रहे हैं। पेट्रोलिमय उत्पाद 10 फीसदी महंगा होने पर महंगाई करीब एक फीसदी बढ़ जाती है। जबकि पिछले एक साल में पेट्रोलियम की कीमत 25 फीसदी से अधिक बढ़ चुकी है। ऐसे उपभोक्ताओं को किचन के बजट को संतुलित करने के लिए अन्य जरूरी खर्चों में कटौती करनी पड़ रही है।
सीमेंट की लागत बढ़ी
सीमेंट की कीमत भी बढ़ी है जिससे घर बनाना अब ज्यादा महंगा हो गया है। सीमेंट में पेटकोक का इस्तेमाल होता है, जिसकी लागत बढ़ी है। इसके अलावा ईंधन और बिजली समेत अन्य वस्तुओं की सीमेंट की लागत में 25 फीसदी हिस्सेदारी होती है जो महंगी हुई हैं। कंपनियों का कहना है कि मांग में सुस्ती और लागत खर्च बढ़ने की दोहरी चुनौती के बीच कारोबार करना बेहद मुश्किल हो गया है।