सरकार कर सकती है पब्लिक सेक्टर के बैंकों की एक्स्ट्रा फंडिंग
नई दिल्ली
सरकार पब्लिक सेक्टर के बैंकों में तुरंत पूंजी लगाने की तैयारी कर रही है ताकि लोन ग्रोथ तेज की जा सके। उसे डर है कि नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनीज (एनबीएफसी) को अभी फंड की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे लोन ग्रोथ सुस्त पड़ सकती है।
सरकार अपने बैंकों को 42 हजार करोड़ से अधिक रकम दे सकती है। इस मामले में चल रही बातचीत से वाकिफ सरकारी अधिकारी ने बताया कि अभी जो कैपिटलाइजेशन प्लान लागू किया जा रहा है, यह उसमें से बची हुई रकम है।
उन्होंने कहा, ‘कैबिनेट इस प्रस्ताव पर बुधवार को विचार कर सकती है। हम बैंकों को ग्रोथ कैपिटल देना चाहते हैं ताकि वे कर्ज दे सकें और उससे इकॉनमी में डिमांड को सपॉर्ट मिले।’
सरकार बैंकों को 80 हजार करोड़ से एक लाख करोड़ रुपये तक की रकम भी दे सकती है ताकि सभी पब्लिक सेक्टर बैंकों को फायदा हो। 9 नवंबर तक सालाना लोन ग्रोथ 14.9 पर्सेंट थी, लेकिन इंडस्ट्री की शिकायत रही है कि रियल एस्टेट और माइक्रो, स्मॉल ऐंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) को फंड नहीं मिल रहा है। इन्हें एनबीएफसी से कर्ज मिल रहा था, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (IL&FS) के डिफॉल्ट करने के बाद उनके लिए फंड जुटाना मुश्किल हो गया है।
अधिकारी ने बताया, ‘यह शुरुआती प्लान है। इसमें 8 पर्सेंट से अधिक क्रेडिट ग्रोथ का लक्ष्य रखा गया है। बैंकों की फंडिंग सरकारी खजाने की हालत पर भी निर्भर करेगी।’ इधर, कच्चे तेल के दाम में तेज गिरावट आने और रुपये के स्थिर होने से राजकोषीय दबाव कम हुआ है।
बैंकों के लिए फंड का कैलकुलेशन करते वक्त बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक और विजया बैंक के प्रस्तावित मर्जर का भी ख्याल रखा जाएगा। इन तीनों बैंकों के मिलने के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक वजूद में आएगा। अधिकारी ने कहा, ‘तीनों बैंकों के मर्जर को देखते हुए कुछ अतिरिक्त फंड की जरूरत पड़ सकती है।’
उधर, वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि सरकार पब्लिक सेक्टर के बैंकों को मार्च तक 42 हजार करोड़ रुपये देगी। इसकी अगली किस्त दिसंबर में जारी की जा सकती है। सरकारी बैंकों को मार्च 2019 तक 1.2 लाख करोड़ टियर वन कैपिटल की जरूरत है।