कानून कमजोर है लेकिन सुरक्षा मजबूत होनी चाहिए

कानून कमजोर है लेकिन सुरक्षा मजबूत होनी चाहिए

 
मुंबई 

भारतीय रेलवे में रोजाना लगभग 3 करोड़ लोग यात्रा करते हैं। इसका मतलब है कि रोजाना दुनिया के कुछ देश ट्रेनों में यात्रा करते हैं और इनकी जिम्मेदारी रेलवे सुरक्षा बल के हवाले है। रेलवे परिसर या ट्रेन में अपराध होने पर सुरक्षा की पहली दीवार आरपीएफ ही है लेकिन अपराधियों से निपटने के लिए कमजोर रेलवे ऐक्ट का इस्तेमाल करना एके-47 के सामने दोनाली वाली बंदूक जैसा है। बहरहाल, मुंबई में रेलवे सुरक्षा में पेंच जुड़ जाते हैं, जिसे सुलझाने के लिए विशेष योग्यता चाहिए। पेश है इन तमाम पहलूओं पर इस बार के सप्ताह के साक्षात्कार में पश्चिम रेलवे के प्रमुख मुख्य सुरक्षा आयुक्त अजय कुमार सिंह से दामोदर व्यास की खास बातचीत: 
 

हाल ही में हुई अमृतसर की घटना के बाद पटरियों के आसपास हो रहे अतिक्रमण दोबारा सवाल उठ रहे हैं। मुंबई में इसकी क्या स्थिति है?
रेलवे का सिविल इंजिनियरिंग विभाग निश्चित समय के अंतराल के बाद अतिक्रमण के संदर्भ ने नोटिफिकेशन निकालता रहता है। इसी आधार पर रेलवे सुरक्षा बल द्वारा समय-समय पर कार्रवाई की जाती है। कुछ जगहों पर अतिक्रमण की वजह से छीना-झपटी की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं। ऐसी जगहों को चिह्नित कर आरपीएफ द्वारा विशेष कार्रवाई की जा रही है। अतिक्रमण के कारण ट्रैस पासिंग एक चिंता का विषय है जिसे रोकने के लिए ट्रैक के दोनों ओर बाउंड्री वॉल बनाने की योजना है। जिन स्थानों पर इन दीवारों को अतिक्रमण करने वालों द्वारा बार-बार तोड़ा जाता है, उनसे निपटने के लिए अलग योजना तैयार हो चुकी है।