डॉक्टरों के विरोध के बीच नेशनल मेडिकल कमिशन बिल राज्यसभा से भी पास

नई दिल्ली
नेशनल मेडिकल कमिशन बिल 2019 (NMC) को राज्यसभा से पास कर दिया गया है. इसे 29 जुलाई को लोकसभा से पास किया गया था. हालांकि देश के डॉक्टर्स और मेडिकल संगठन इस बिल का विरोध कर रहे हैं. इंडियन मेडिकल असोसिएशन आर वी असोकन ने कहा, 'एनएमसी बिल की धारा-32 में एडवांस मेडिकल प्रैक्टिस करने के लिए 3.5 लाख अयोग्य एवं गैर डॉक्टरों को लाइसेंस देने का प्रावधान है. सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाता शब्द को अस्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, जो मॉडर्न मेडिकल फैसिलिटी से जुड़े किसी शख्स को एनएमसी में रजिस्टर्ड होने और एडवांस प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस हासिल करने की इजाजत देता है.
उन्होंने कहा, 'इसका मतलब यह होगा कि सभी तरह के पैरामेडिक्स, जिसमें फार्मासिस्ट, नर्स, फिजियोथेरेपिस्ट, ऑप्टोमेट्रिस्ट इत्यादि आधुनिक चिकित्सा पद्धति का उपयोग करने के साथ ही स्वतंत्र रूप से दवाइयां परामर्श करने के लिए वैध होंगे.' वहीं रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने एक बयान में कहा, अगर संसोधन नहीं किया गया तो इससे न सिर्फ मेडिकल एजुकेशन के मानकों ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में भी गिरावट आएगी. इस बिल के विरोध में फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए), रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) सहित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने अपने सदस्यों को काले बैज पहनने को कहा था.
आईएमए का कहना है कि इस बिल के कारण कॉलेजों में मेडिकल एजुकेशन महंगी हो जाएगी और मेडिकल कॉलेज मैनेजमेंट 50 फीसदी से ज्यादा सीटों को अधिक दर पर बेच पाएंगे. इस नए मेडिकल बिल के मुताबिक पूरे देश के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए सिर्फ एक नीट एग्जाम होगा.
इसके अलावा मेडिकल एडवाइजरी काउंसिल बनाई जाएगी, जो मेडिकल एजुकेशन और ट्रेनिंग के बारे में राज्यों को समस्याएं और सुझाव रखने का मौका देगी. इसके अलावा मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को खत्म किया जाएगा. उनके अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवाएं भी खत्म हो जाएंगी. हालांकि उन्हें 3 महीने का वेतन और भत्ते दिए जाएंगे. मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉक्टरों को मेडिकल प्रैक्टिस करने के लिए एक टेस्ट और देना होगा.