दागती है 1 मिनट में 600 गोलियां, भारत-रूस के बीच AK-47 203 राइफल्स की डील डन

नई दिल्ली
भारत और रूस के बीच एके-47 203 राइफल्स को लेकर सौदा फाइनल हो गया है. अब इस राइफल को भारत में तैयार किया जाएगा. एके-47 203 को एके-47 राइफल्स का सबसे एडवांस्ड वर्जन माना जाता है. यह अब इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम (इंसास) असॉल्ट राइफल की जगह लेगा. भारत और रूस के बीच एके-47 203 राइफल्स को लेकर सौदा फाइनल हो गया है. अब इस राइफल को भारत में तैयार किया जाएगा. एके-47 203 को एके-47 राइफल्स का सबसे एडवांस्ड वर्जन माना जाता है. यह अब इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम (इंसास) असॉल्ट राइफल की जगह लेगा. भारत और रूस के बीच एके-47 203 राइफल्स को लेकर सौदा फाइनल हो गया है. अब इस राइफल को भारत में तैयार किया जाएगा. एके-47 203 को एके-47 राइफल्स का सबसे एडवांस्ड वर्जन माना जाता है. यह अब इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम (इंसास) असॉल्ट राइफल की जगह लेगा.
इस सौदे पर एससीओ (शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गनाइजेशन) समिट के दौरान सहमति बनी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस समिट में हिस्सा लेने के रूस में ही मौजूद हैं. खास बात यह है कि पुराने मॉडल से उलट यह राइफल हिमालय जैसे ऊंचे इलाकों के लिए बेहतर होती है. इस सौदे पर एससीओ (शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गनाइजेशन) समिट के दौरान सहमति बनी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस समिट में हिस्सा लेने के रूस में ही मौजूद हैं. खास बात यह है कि पुराने मॉडल से उलट यह राइफल हिमालय जैसे ऊंचे इलाकों के लिए बेहतर होती है. इस सौदे पर एससीओ (शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गनाइजेशन) समिट के दौरान सहमति बनी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस समिट में हिस्सा लेने के रूस में ही मौजूद हैं. खास बात यह है कि पुराने मॉडल से उलट यह राइफल हिमालय जैसे ऊंचे इलाकों के लिए बेहतर होती है.
चीन के साथ लद्दाख से लेकर पूर्वोत्तर राज्यों तक की सीमा पर जारी तनाव और हाल के वक्त में हुईं सैन्य झड़पों को देखते हुए यह डील एक अहम मौके पर की गई है. भारतीय सेना में INSAS का इस्तेमाल 1996 से चला आ रहा है और उसमें हिमालय की ऊंचाई पर जैमिंग और मैगजीन के क्रैक जैसी समस्याएं पैदा होने लगी हैं. चीन के साथ लद्दाख से लेकर पूर्वोत्तर राज्यों तक की सीमा पर जारी तनाव और हाल के वक्त में हुईं सैन्य झड़पों को देखते हुए यह डील एक अहम मौके पर की गई है. भारतीय सेना में INSAS का इस्तेमाल 1996 से चला आ रहा है और उसमें हिमालय की ऊंचाई पर जैमिंग और मैगजीन के क्रैक जैसी समस्याएं पैदा होने लगी हैं.
चीन के साथ लद्दाख से लेकर पूर्वोत्तर राज्यों तक की सीमा पर जारी तनाव और हाल के वक्त में हुईं सैन्य झड़पों को देखते हुए यह डील एक अहम मौके पर की गई है. भारतीय सेना में INSAS का इस्तेमाल 1996 से चला आ रहा है और उसमें हिमालय की ऊंचाई पर जैमिंग और मैगजीन के क्रैक जैसी समस्याएं पैदा होने लगी हैं.
रूस की सरकारी मीडिया के मुताबिक, इंडियन आर्मी को करीब 7 लाख से ज्यादा एके-47 203 राइफल की जरूरत है. इनमें से 1 लाख राइफल्स आयात किए जाएंगे जबकि बाकी को देश में ही तैयार किया जाएगा. रूस की सरकारी मीडिया के मुताबिक, इंडियन आर्मी को करीब 7 लाख से ज्यादा एके-47 203 राइफल की जरूरत है. इनमें से 1 लाख राइफल्स आयात किए जाएंगे जबकि बाकी को देश में ही तैयार किया जाएगा. रूस की सरकारी मीडिया के मुताबिक, इंडियन आर्मी को करीब 7 लाख से ज्यादा एके-47 203 राइफल की जरूरत है. इनमें से 1 लाख राइफल्स आयात किए जाएंगे जबकि बाकी को देश में ही तैयार किया जाएगा.
रूस के स्पूतनिक न्यूज के मुताबिक भारतीय सेना को 7.7 लाख राइफल्स की जरूरत है. राइफल्स का भारत में निर्माण इंडो-रशिया राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) के संयुक्त ऑपरेशन के तहत किया जाएगा. यह ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) और कालाश्निकोव कंसर्न और रोसोबोरोनएक्सपॉर्ट के बीच की गई डील है. रूस के स्पूतनिक न्यूज के मुताबिक भारतीय सेना को 7.7 लाख राइफल्स की जरूरत है. राइफल्स का भारत में निर्माण इंडो-रशिया राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) के संयुक्त ऑपरेशन के तहत किया जाएगा. यह ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) और कालाश्निकोव कंसर्न और रोसोबोरोनएक्सपॉर्ट के बीच की गई डील है.
रूस के स्पूतनिक न्यूज के मुताबिक भारतीय सेना को 7.7 लाख राइफल्स की जरूरत है. राइफल्स का भारत में निर्माण इंडो-रशिया राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) के संयुक्त ऑपरेशन के तहत किया जाएगा. यह ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) और कालाश्निकोव कंसर्न और रोसोबोरोनएक्सपॉर्ट के बीच की गई डील है.
रूस निर्मित AK-203 राइफल दुनिया की सबसे आधुनिक और घातक राइफलों में से एक है. हर राइफल की कीमत 1100 डॉलर हो सकती है. इसमें टेक्नॉलजी ट्रांसफर और उत्पादन इकाई स्थापित करने की कीमत शामिल है. AK-203 बेहद हल्की और छोटी है जिससे इसे ले जाना आसान है. इसमें 7.62 एमएम की गोलियों का इस्तेमाल किया जाता है. रूस निर्मित AK-203 राइफल दुनिया की सबसे आधुनिक और घातक राइफलों में से एक है. हर राइफल की कीमत 1100 डॉलर हो सकती है. इसमें टेक्नॉलजी ट्रांसफर और उत्पादन इकाई स्थापित करने की कीमत शामिल है. AK-203 बेहद हल्की और छोटी है जिससे इसे ले जाना आसान है. इसमें 7.62 एमएम की गोलियों का इस्तेमाल किया जाता है.