दुनिया भर में चंद्रग्रहण को लेकर लोगों के मन में होते थे अनोखे डर

आज भले ही हम चंद्रग्रहण जैसी घटनाओं को अच्छी तरह समझते हैं लेकिन पुराने समय में चंद्रग्रहण लोगों के लिए एक अजूबा था. दुनिया भर की कई सभ्यताओं में राक्षसों, शैतानों और जंगली जानवरों और जैगुआर को चंद्रग्रहण के लिए दोषी माना जाता था.


27 जुलाई की रात को इस सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण होगा और लोग इसे देखने के लिए बेताब हैं.

कैलिफोर्निया के लॉस एंजेल्स स्थित ग्रिफिथ ऑब्जर्वेटरी ई सी क्रूप ने नैशनल ज्योग्राफिक को बताया, कई प्राचीन सभ्यताओं में सूर्य और चंद्र ग्रहण को विश्व की सामान्य प्राकृतिक व्यवस्था को मिलने वाली एक चुनौती के तौर पर देखा गया है. लोगों को लगता था कि जो चीजें नहीं होनी चाहिए थीं, वे हो रही हैं.


कैलिफोर्निया स्थित लॉरेन्स लिवरमोर नैशनल लैबोरेटरी के रिसर्चर डेविड डियरबॉर्न ने कहा, इन्का लोग भी ग्रहण को किसी शुभ घटना के तौर पर नहीं देखते थे. प्रचलित मिथकों के मुताबिक, वे मानते थे कि जैगुआर चंद्रमा पर आक्रमण करता था और उसे खा जाता था.  पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा के लाल रंग का दिखने के पीछे इस जानवर के हमले को जिम्मेदार माना जाता था.


उन्हें डर लगता था कि चंद्रमा पर हमला करने के बाद जैगुआर पृथ्वी पर धावा बोलेगा और लोगों को खा जाएगा. उसे रोकने के लिए वे चंद्रमा की तरफ तीर चलाते थे और खूब शोर मचाते थे. कुत्ते जोर से भौंके इसलिए वे उन्हें खूब पीटते थे.


नैशनल ज्योग्राफिक की रिपोर्ट के मुताबिक, प्राचीन मेसोपोटमियन सभ्यता में भी ग्रहण की घटना को चंद्रमा पर हमले के तौर पर ही देखा जाता था लेकिन उनकी कहानी में हमलावर सात राक्षस थे.

डेविड कहते हैं कि पारंपरिक संस्कृतियों ने आसमान में होने वाली हर घटना को धरती से जोड़कर देखा. चूंकि मेसोपोटामियन सभ्यता में राजा को धरती का प्रतिनिधि समझा जाता था, लोगों ने चंद्रग्रहण को अपने राजा पर होने वाले हमले की तरह देखा. लिखित साक्ष्यों से पता चलता है कि मेसोपोटामियन लोगों की चंद्रग्रहण की भविष्यवाणी करने की पद्धति बहुत ही तार्किक थी. ग्रहण का पूर्वानमुान लगाने के बाद वे किसी दूसरे को राजा बना देते थे ताकि हमले का असर उसी शख्स पर हो, उनके असली राजा पर नहीं.

घोषित किया गया नया राजा बलिदान के लिए तैयार रहता था. ग्रहण के दौरान नकली राजा को बिल्कुल राजा की ही तरह बर्ताव किया जाता था जबकि असली राजा किसी आम नागरिक की तरह सामान्य नागरिक की तरह घूमा करता था. जब चंद्रग्रहण खत्म हो जाता था तो नकली राजा गायब हो जाता था. शायद उसे जहर देकर मार दिया जाता था.


हालांकि उत्तरी कैलिफोर्निया की अमेरिकी जनजातियों के चंद्रग्रहण के मिथक में अंत अच्छा होता है.


हूपा लोगों का विश्वास था कि चंद्रमा की 20 पत्नियां और खूब सारे जानवर थे. इन जानवरों में से अधिकतर पहाड़ी शेर और सांप थे. उनकी मान्यताओं के मुताबिक, जब चंद्रमा उन्हें खाने के लिए पर्याप्त खाना नहीं देता था तो वे उस पर हमला बोल देते थे. ग्रहण तब खत्म होता था जब चंद्रमा की पत्नियां उसकी रक्षा करने के लिए आती थीं और उसका टपका खून इकठ्ठा कर लेती थीं. इस तरह चंद्रमा फिर से स्वस्थ हो जाता.

यूनिवर्सिटी ऑफ द वेस्टर्न केप की कल्चरल एस्ट्रोनॉमर जरीता होलब्रुक ने कहा, लेकिन सभी संस्कृतियों में ग्रहण को लेकर बुरी धारणाएं नहीं हैं. मुझे अफ्रीका की टोगो और बेनिन के बैटेम्लिबा का मिथक अच्छा लगता है. इस मिथक में सूर्य और चंद्रमा ग्रहण के दौरान लड़ाई करते हैं और लोग उन्हें लड़ने से रोकते हैं. वे इस समय को एक साथ आने और आपसी झगड़ों को दूर करने के अवसर के तौर पर लेते हैं. यह मिथक आज भी अस्तित्व में है. तिब्बती बौद्ध मानते हैं कि चंद्रग्रहण के दिन किए गए अच्छे कामों का फल दस गुना मिलता है.


दक्षिणी कैलिफोर्निया की लुईसेनो जनजाति के बीच भी ग्रहण को लेकर एक मिथक प्रचलित है. उनकी मान्यता के मुताबिक ग्रहण इस बात का संकेत देता है कि चंद्रमा बीमार है और यह लोगों का कर्तव्य है कि चंद्रमा की सेहत के लिए गाना गाएं और दुआएं करें.