देश में हथियारों के निर्माण पर था पेच, अब सरकार ने दी मंजूरी

नई दिल्ली 
वेपंज प्रॉडक्शन के क्षेत्र में दुनिया की बड़ी कंपनियों के साथ मिलकर आधुनिक हथियार बनाने में भारतीय प्राइवेट सेक्टर की भूमिका बढ़नेवाली है। रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को इससे जुड़े 'स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप (SP)' मॉडल को अपनाने के लिए दिशानिर्देशों को मंजूरी दे दी। खास बात यह है कि एक साल से भी ज्यादा समय पहले SP पॉलिसी को अंतिम रूप दिया जा चुका था पर इसमें देरी के कारण कई प्रॉजेक्ट अटक गए।  


नौसेना को 21,000 करोड़ रुपये की लागत से 11 सशस्त्र, दो इंजन वाले चॉपर्स मिलने हैं, जिसमें काफी देर हो चुकी है। ये चॉपर्स पुराने हो चुके सिंगल-इंजन चेतक हेलिकॉप्टरों की जगह लेंगे, जो युद्धपोत के डेक से संचालित होते हैं। अब SP मॉडल के तहत यह पहला प्रॉजेक्ट होगा। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली डिफेंस अक्वीज़िशंस काउंसिल (DAC) ने नौसेना के हेलिकॉप्टरों के लिए 'प्लैटफॉर्म-स्पेसिफिक गाइडलाइंस' को भी मंजूरी दी। 

इसके साथ ही DAC ने समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कोस्ट गार्ड को काफी तेज गश्त करनेवाले आठ जहाज लेने के लिए 800 करोड़ रुपये पर भी शुरुआती सहमति दे दी। आपको बता दें कि SP पॉलिसी मई 2017 में ही सामने आई थी, पर इसे क्रियान्वित करने में देर हो गई। इसके तहत डिफेंस PSUs और ऑर्डनंस फैक्टरी बोर्ड के लिए दरवाजे खुले हैं जिससे वे उपकरण बनानेवाली विदेशी कंपनियों (OEMs) के साथ साझेदारी कर सकें। इस देरी से सैन्य आधुनिकीकरण से संबंधित परियोजनाएं भी लटक गई थीं। 

कई अहम घोषणाओं और नीतियों के बावजूद पिछले चार वर्षों में 'मेक इन इंडिया' के तहत कोई भी बड़ा डिफेंस प्रॉजेक्ट शुरू नहीं हो सका। 3.5 लाख करोड़ रुपये के कम से कम छह बड़े मेगा प्रॉजेक्ट्स अलग-अलग स्टेज में फंसे हुए हैं, जिसमें फाइटर्स, पनडुब्बी, हेलिकॉप्टरों से लेकर सेना के लिए युद्धक वाहन भी शामिल हैं।

उदाहरण के तौर पर 70,000 करोड़ के 'प्रॉजेक्ट-75 इंडिया' को ही ले लीजिए, जिसको रक्षा मंत्रालय ने नवंबर 2007 में ही शुरुआती मंजूरी दे दी थी। इसके तहत छह अडवांस्ड स्टील्थ सबमरीन्स, लैंड-अटैक क्रूज मिसाइल्स और ऐसे कुछ हथियारों का निर्माण शामिल है। 

रक्षा मंत्रालय ने शुरुआत में चार श्रेणियां तय की थीं- फाइटर्स, हेलिकॉप्टर्स, सबमरीन्स और सशस्त्र वीइकल जैसे टैंक्स, इनका निर्माण SP पॉलिसी के जरिए भारतीय और विदेशी कंपनियों के द्वारा किया जाना था। SP पॉलिसी के तहत एक और महत्वपूर्ण प्रॉजेक्ट है जिसमें भारतीय वायुसेना को 114 लड़ाकू विमान मिलने हैं। इसमें से 85 फीसदी जेट्स का निर्माण भारत में होना है और इसकी अनुमानित लागत 1.25 लाख करोड़ है।