निजी स्कूलों की मनमानी पर फिलहाल हाईकोर्ट की रोक, 10% से ज़्यादा नहीं बढ़ा पाएंगे फीस
भोपाल
मध्य प्रदेश (madhya pradesh)के अभिभावकों (parents)को जबलपुर हाईकोर्ट (jabalpur high court)ने बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने आज अंतरिम आदेश दिया है कि स्कूल फीस नियामक अधिनियम के कानून बनने तक निजी स्कूल (private schools) 10 फीसदी से ज़्यादा फीस नहीं बढ़ा सकेंगे. कोर्ट के इस आदेश से फिलहाल निजी स्कूलों की मनमानि फीस वसूली (fees)पर ब्रेक लग गया है.
जबलपुर हाईकोर्ट ने फिलहाल मध्यप्रदेश के निजी स्कूलों में मनमानी फीस वसूली पर रोक लगा दी है. एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अंतरिम आदेश दिया कि जब तक राज्य सरकार निजी स्कूल फीस नियामक अधिनियम लागू करने के लिए नियम नहीं बनाती,तब तक प्रदेश के निजी स्कूल, सालाना दस फीसदी से ज्यादा फीस नहीं बढ़ा सकते. हाईकोर्ट ने अब तक नियम नहीं बनाने पर राज्य सरकार के रवैये पर नाराज़गी जताई. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि आखिर प्रदेश में साल 2018 के बाद अगले शैक्षणिक सत्रों के लिए निजी स्कूलों की फीस रैगुलेट करने के नियम क्यों नहीं बनाए गए.
दरअसल जबलपुर हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने साल 2017 में निजी स्कूल फीस नियामक अधिनियम बनाया था. अधिनियम की धारा 14 के मुताबिक फीस वृद्धि की सीमा तय करने के लिए राज्य सरकार को नियम बनाना ज़रूरी था.उसके बाद ही अधिनियम लागू किया जा सकता था. राज्य सरकार ने सिर्फ 2018 में नियम बनाए. उसमें दस फीसदी से ज्यादा फीस बढ़ाने वाले निजी स्कूलों की मान्यता रदद् करने का प्रावधान था. लेकिन बस उसके बाद फिर अगले साल के लिए कोई नियम नहीं बनाया. इसका ये असर हुआ कि प्रदेश के निजी स्कूल मनमानी फीस वसूलने लगे.
इस मामले पर जबलपुर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. उस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सख़्त रुख़ अपनाया और अंतरिम दिया. कोर्ट ने तय कर दिया कि जब तक सरकार फीस नियामक अधिनियम के ज़रूरी नियम नहीं बनाती है तब तक प्रदेश के निजी स्कूल सालाना 10 फीसदी से ज्यादा फीस नहीं बढ़ा सकेंगे.
हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले पर राज्य सरकार से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है.मामले पर अगली सुनवाई 4 हफ्तों बाद की जाएगी. अभिभावक भी सरकार से निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं.