नौसेना को मिला DSRV, अमेरिका, इंग्लैंड और रूस जैसे देशों की श्रेणी में शामिल हुआ भारत

नौसेना को मिला DSRV, अमेरिका, इंग्लैंड और रूस जैसे देशों की श्रेणी में शामिल हुआ भारत

 
मुंबई

नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने बुधवार को पनडुब्बी बचाव पोत (DSRV) राष्ट्र और नौसेना को समर्पित कर दिया। यह पोत समुद्र में मुसीबत में पनडुब्बियों के दुर्घटनाग्रस्त होने पर गहराई तक जाएगा और उसमें फंसे लोगों को बचाएगा। भारतीय नौसेना के बेड़े में यह पोत शामिल होने से भारत अब अमेरिका, इंग्लैंड, रूस, चीन, फ्रांस और जर्मनी जैसे चुनिंदा देशों की श्रेणी में आ गया है। इन देशों के पास पहले से खुद का पनडुब्बी बचाव पोत है। 
 
मुंबई के नवल डाक में आयोजित समारोह में नौसेना प्रमुख एडमिरल लांबा ने कहा, 'डीप सबमर्जेन्स रेस्क्यू वीइकल (डीएसआरवी) को नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया है। यह देश के लिए बहुत गर्व की बात है। इस वाहन की प्रणाली ने भारतीय नौसेना को विश्व नौसेना के ऐसे छोटे समूह में शामिल कर दिया है, जिनके पास अभिन्न पनडुब्बी बचाव क्षमता है। अब भारतीय नौसेना समुद्र में डूब रही पनडुब्बियों को बचाने में सक्षम है। इसमें अत्याधुनिक तकनीकी का उपयोग किया गया है। डीएसआरवी को बेड़े में शामिल करने से पहले सफल परीक्षण किया गया है।' इस अवसर पर वाइस एडमिरल गिरिश लूथरा ने डीएसआरवी की खूबियों के बारे में बताया। 

कैप्टन अरुण जॉर्ज ने कहा, 'इस बेड़े को शामिल करने के लिए कड़ा परीक्षण किया गया है। परीक्षण में 60 से अधिक दिन लगे हैं। इनमें 32 दिन समुद्र में रहे। इस पोत के जरिए नौसेना के अधिकारी मुसीबत में फंसी पनडुब्बी का चित्र देख सकेंगे और उसकी वास्तविक स्थिति की समीक्षा कर सकेंगे।' उन्होंने बताया कि यह पोत एक गोते में 14 लोगों को बचा सकता है। परीक्षण के दौरान, डीएसआरवी 650 मीटर तक नीचे गया, जो एक रेकॉर्ड है। इसे एयरक्राफ्ट के जरिए देश-विदेश में कहीं भी ले सकते हैं। 

डीएसआरवी की विशेषताएं
-दो प्रणाली पर 2000 करोड़ रुपये खर्च 
- समुद्र की गहराई में 650 मीटर से अधिक गोता लगाने में सक्षम 
- 33 टन वजन 
- अत्याधुनिक तकनीकी से लैस 
- मुसीबत में फंसी पनडुब्बी का लाइव चित्र निकालने में सक्षम 
- एक गोते में 14 लोगों को बचाया जा सकता है। 
- एयरक्राफ्ट के जरिए देश-विदेश में लाया और भेजा सकता है।