पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह तक पहुंचा झीरम नरसंहार की जांच का दायरा

रायपुर
छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने झीरम घाटी कांड मामले की जांच का दायरा बढ़ा दिया है. प्रदेश में 6 साल पहले हुए झीरम घाटी हमले की जांच के लिए एसआईटी के गठन के साथ ही राज्य सरकार ने एक बार फिर न्यायिक जांच आयोग के कार्यकाल को बढ़ा दिया है. साथ ही जांच आयोग का दायरा पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह तक पहुंच गया है.
राज्य सरकार ने झीरम जांच मामले में 8 नए बिंदु शामिल किये हैं. साथ ही मामले की जांच कर रहे न्यायमूर्ति प्रशांत मिश्र न्यायिक जांच आयोग का कार्यकाल 13वीं बार बढ़ा दिया है. जांच में उन नए बिंदुओं को शामिल किया गया है, जिसमें यूनिफाइड कमांड की भूमिका भी शामिल है. सरकार ने नक्सल विरोधी ऑपरेशन और विशेषकर टीसीओसी की अवधि के दौरान यूनिफाइड कमांड की भूमिका, कमाण्ड के अध्यक्ष के कर्तव्य भी जानना चाहा है. साथ ही न्यायिक आयोग से ये भी बताने को कहा गया है कि क्या यूनिफाइड कमाण्ड के तत्कालीन अध्यक्ष ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही किया या नहीं.
साथ ही आईएएस एलेक्स पॉल मेमन की रिहाई के लिए माओवादियों और सरकार के बीच हुए समझौते की शर्तों को जानने भी कहा गया है. क्योंकि मुख्यमंत्री ही यूनिफाइड कमांड के अध्यक्ष होते हैं और घटना के समय डॉ. रमन सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. इसलिए जांच में इस बिंदु के शामिल होने से रमन सिंह भी जांच के दायरे में आ गये हैं और उन्हें भी बयान दर्ज करने बुलाया जा सकता है. इस मामले कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख शैलेष नितिन त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि पिछली सरकार के समय झीरम मामले की जांच सही तरीके से नहीं की गयी. इसलिए अब सही जांच होनी चाहिए.