पेंटिंग में शोभाराम ने देश के कैदियों को छोड़ा पीछे, दूसरा इनाम लाकर राज्य का मान बढ़ाया
बिलासपुर
केन्द्रीय जेल में आजीवन कारवास की सजा काट रहे कैदी शोभाराम ने प्रदेश नाम रौशन किया है। दिल्ली में तिनका-तिनका फाउंडेशन द्वारा आयोजित देशभर की केन्द्रीय जेलों के कैदियों की पेंटिंग स्पर्धा में दूसरा इनाम जीता है। जेल के कैदी रविशंकर को पेंडिंग के लिए विशेष इनाम समेत 2 कैदियों को सांत्वना पुरस्कार मिले हैं। छत्तीसगढ़ से राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा बार जेल के कैदियों ने इनाम जीते हैं। शनिवार को जेल अधीक्षक ने तिनका-तिनका द्वारा दिए प्रमाण पत्र कैदियों को बांटे।
जेल अधीक्षक एसएस तिग्गा ने बताया कि दिल्ली स्थित तिनका-तिनका फाउंडेशन की संस्थापिका वर्तिका नंदा द्वारा केन्द्रीय जेल के कैदियों की कलाकृतियों के लिए तिनका-तिनका अवार्ड से सम्मानित करती हैं। राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली स्पर्धा में देशभर की केन्द्रीय जेलों से कैदियों की पेंटिंग दिल्ली मंगवाई जाती हैं। वर्ष 2018 के अवार्ड के लिए कैदियों को जेल में सपने विषय पर पेंटिंग बनाने की थीम दी गई थी। केन्द्रीय जेल के करीब 28 कैदियों द्वारा बनाई गई पेंटिंग 19 सितंबर 2018 को तिनका-तिनका फाउंडेशन को भेजी गई थी।19 अक्टूबर को इनामों की घोषणा की गई थी, जिसमें केन्द्रीय जेल के 4 कैदियों की पेटिंग को ईनाम मिले थे।
पहला भटिंडा जेल के राजाराम और तीसरा नासिक जेल के सुदीप को मिला : तिनका-तिनका फाउंडेशन ने पहला पुरस्कार पंजाब की भटिंडा जेल के राजाराम की पेंटिंग को दिया है। राजाराम केन्द्रीय जेल में कैदियों के बीच पंजाबी संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने इसी काम को पेंटिंग के जरिए बताने का प्रयास किया था। वहीं महाराष्ट्र की नासिक जेल के सुदीप मनमोहन पाल को तीसरा ईनाम दिया गया है। कुछ भी स्थायी नहीं पेंटिंग के जरिए सुदीप ने पिघलती हुई मोमबत्ती औरउसके सामने एक घर के के सदस्यों को उम्मीद के चिराग को दिखाने की कोशिश की गई है।
जेल में सीखी पेंटिंग 8 साल में मिला पहला इनाम : तिनका-तिनका अवार्ड 2018 में दूसरा ईनाम पाने वाले शोभाराम पिता भगउ को उनकी पेंटिंग,धैर्य की कश्ती ही तूफान से निकाल को मिला है। शोभाराम हत्या के मामले में पिछले 8 सालों से केन्द्रीय जेल में हैं। जेल में आने के बाद उन्होंने पेंटिंग बनाना सीखा था। 8 साल तक पेंटिंग बना रहे शोभाराम को पहली बार इनाम मिला है।
रविशंकर हैं जेल में है सबसे बड़ी ताकत : केन्द्रीय जेल के कैदी रविशंकर पिता ज्वाला सिंह को संघर्ष ही जीवन है , जीवन में संघर्ष करना चाहिए शीर्षक की पेटिंग को विशेष इनाम दिया है। पेंटिंग में उन्होंने गलत रास्ते छोड़कर आध्यात्म की ओर कैदियों को लेजाने का चित्रण किया है। जेल में कैदियों को आध्यात्म की ओर लेजाने के कारण जेल के अधिकारी और तिनका-तिनका फाउंडेशन ने उन्हें बड़ी ताकत माना है।