प्रदेश के सभी 146 विकासखण्डों में नालों का चिन्हांकन कर वैज्ञानिक आधार पर भू-जल संवर्धन

रायपुर
मुख्य सचिव सुनील कुजूर की अध्यक्षता में आज मंत्रालय में नरवा कार्यक्रम के क्रियान्वयन, रूफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग, सिटी ड्रेनेज प्लान के साथ-साथ जिलों में पानी की मांग एवं उपलब्धता के विषय में चर्चा की गयी।
बैठक में बताया गया कि प्रदेश के सभी 146 विकासखण्डों में नालों का चिन्हांकन कर वैज्ञानिक आधार पर भू-जल संवर्धन के लिए संरचनाओं के निर्माण का काम मनरेगा एवं अन्य मदों से किया जा रहा है। इन संरचनाओं के निर्माण से भू-जल स्तर में सुधार होगा और सतही जल की अधिक उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी। अधिकारियों ने बताया कि निस्तारी तालाबों को फिल्ड चैनल के माध्यम से नहरों तथा जलाशयों से जोड़ा जा रहा है।
जल संसाधन विभाग की इस उच्च स्तरीय समिति की बैठक में जल संरक्षण एवं प्रबंधन की मजबूती और राज्य में कृषि, पेयजल, निस्तारी एवं औद्योगिक प्रयोजन के लिए जलापूर्ति सुनिश्चित की कार्य योजना की समीक्षा की गयी।
बैठक में बताया गया कि कम सिंचाई तथा सूखे की संभावना वाले क्षेत्रों में सूक्ष्म सिंचाई और सोलर के माध्यम से सूक्ष्म सिंचाई के द्वारा अधिक से अधिक भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने की कार्य योजना तैयार कर ली गयी है। जल स्त्रोतों एवं संरचनाओं से जल रिसाव को रोकने के उद्ेश्य से पुरानी नहरों के जीर्णोद्धार एवं लाईनिंग का कार्य किया जा रहा है, जिससे कम पानी में अधिक उत्पादन और एक से अधिक फसल ली जा सके।
जल संग्रहण की संरचनाओं की क्षमता में बढ़ोत्तरी के लिए गाद निकालने का काम भी किया जा रहा है। कृषकों की भागीदारी से जल अपव्यय रोकने और सिंचाई की कम आवश्यकता वाली फसलों के उत्पादन को बढ़ावा के लिए जन जागरूकता लाने का कार्य भी किया जा रहा है तथा इसके लिए जल उपभोक्ता संस्थाओं को भी जागरूक किया जा रहा है।
बैठक में अपर मुख्य सचिव कृषि के.डी.पी.राव, अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास आर.पी. मण्डल, सचिव जल संसाधन अविनाश चम्पावत, सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी श्री डी.डी. सिंह, विशेष सचिव नगरीय प्रशासन अलरमेल मंगई डी, विशेष सचिव खनिज अन्बलगन पी. सहित उद्योग विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।