बगावत के चक्कर में अटका बीजेपी का चुनावी घोषणापत्र

बगावत के चक्कर में अटका बीजेपी का चुनावी घोषणापत्र

भोपाल 
विधानसभा चुनाव के लिए मतदान में सिर्फ 11 दिन बचे हैं लेकिन अभी तक बीजेपी अपना चुनावी घोषणापत्र जनता के बीच नहीं ला पाई है। सूत्रों के मुताबिक टिकट बंटवारे को लेकर उपजे असंतोष को दबाने के चक्कर में बड़े नेता ऐसे उलझे कि घोषणापत्र की ओर उनका ध्यान ही नहीं गया। अब शनिवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली भोपाल आकर पार्टी का घोषणापत्र जारी करेंगे। 

बता दें कि कांग्रेस ने पिछले सप्ताह ही अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया था। वचनपत्र के नाम से जारी इस घोषणा पत्र में करीब 973 मुद्दों को कांग्रेस ने शामिल किया है। माना जा रहा है कि कांगेस को उत्तर देने के लिए बीजेपी अपने घोषणापत्र में कुछ नए मुद्दे शामिल कर रही है। 

दरअसल, बीजेपी ने अपने घोषणापत्र (दृष्टिपत्र) के लिए 32 सदस्यों की एक समिति बनाई थी। इस समिति के सदस्यों ने प्रदेश के 24 स्थानों पर जाकर आमजनता के बीच रायशुमारी की। बताया जा रहा है कि जनता के सभी वर्गों के बीच से आए प्रमुख मुद्दों को दृष्टिपत्र में शामिल किया जाना है। 

दृष्टिपत्र समिति के मुखिया पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा हैं। समिति के सदस्यों ने रायशुमारी करके कई सुझाव दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक पहले दृष्टिपत्र 12 नवम्बर तक जनता के बीच आना था लेकिन टिकट वितरण के बाद पार्टी में उपजे असंतोष के चलते तारीख आगे बढ़ाई गई। बता दें कि पार्टी अब तक 60 से ज्यादा नेताओं को पार्टी से निकाल चुकी है। 

'23 लाख लोगों के आए सुझाव' 
समिति के सदस्य दीपक विजयवर्गीय बताते हैं, घोषणापत्र के लिए हमने समाज के सभी वर्गों से व्यापक विचार विमर्श किया है। पार्टी ने समृद्ध मध्य प्रदेश के लिए प्रदेश की जनता से सुझाव मांगे थे। जनता की ओर से 23 लाख से भी ज्यादा सुझाव आये हैं। इनमें से अहम सुझावों को दृष्टिपत्र में शामिल किया गया है। दीपक ने इस बात से इनकार किया कि कांग्रेस के वचनपत्र का जबाव देने के चक्कर में बीजेपी अपना दृष्टिपत्र समय से जारी नहीं कर पाई। उनका कहना है कि जब आप करोड़ों लोगों की उम्मीद का दस्तावेज बनाते है तो समय तो लगता ही है। 

'घोषणापत्र को लेकर समय का बंधन नहीं' 
बता दें कि पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे का तो कहना था कि घोषणापत्र को लेकर समय का कोई बंधन नहीं है। उन्होंने यह भी कहा था कि यह भी अनिवार्य नहीं है कि घोषणापत्र जारी ही किया जाए। इसके बाद यह माना गया था कि बीजेपी अपना घोषणापत्र बना नहीं पाई है।