बाइडन को आड़े हाथों लेकर भारतवंशियों ने सोशल मीडिया पर छेड़ा अभियान

वाशिंगटन
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन पर भारत को निर्यात होने वाले कोरोना टीके के कच्चे माल पर लगी पाबंदी हटाने व एस्ट्राजेनेका टीके मुहैया करवाने का दबाव बढ़ता जा रहा है। शक्तिशाली यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स, कई सांसदों और प्रमुख भारतीय अमेरिकियों ने भारत को राहत सामग्री मुहैया करवाने के लिए प्रशासन पर दबिश बढ़ाई है। भारतवंशियों ने भी सोशल मीडिया पर अभियान छेड़ दिया है, जिसमें बाइडन को आड़े हाथों लिया जा रहा है।
अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स में अंतरराष्ट्रीय मामलों के मुखिया और कार्यकारी उपाध्यक्ष मेरिन ब्रिलियंट ने कहा, यह एस्ट्राजेनेका के टीके व अन्य चिकित्सा उपकरणों को भारत, ब्राजील सरीखे देशों को मुहैया करवाने का समय है। उन्होंने कहा, अमेरिका को अब इनकी जरूरत नहीं होगी। जून के शुरू तक हर अमेरिकी को टीका लग चुका होगा। उनका बयान भारतीय विदेशमंत्री एस जयशंकर द्वारा कोरोना से युद्ध में मदद देने की अपील के बाद आया है।
पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने भी भारत के हालात को चिंताजनक बताते हुए वैश्विक समुदाय से मदद की अपील की है।
बाइडन के चुनाव अभियान के प्रमुख फंड रेजर में से एक रहे शेखर नरसिम्हन ने कहा, हर अमेरिकी के परिवार का कोई न कोई सदस्य भारत में है, कई ने अपने सदस्य खो दिए हैं या फिर पीड़ित हैं। अमेरिका एक दिन में भारत को करीब एक करोड़ एस्ट्राजेनेका के टीके मुहैया करवा सकता है, हमें यह मदद जरूर पहुंचानी चाहिए।
अमेरिकी सरकार की उप प्रवक्ता जलिना पोर्टर ने बताया कि अमेरिका भारत के साथ करीब से काम कर रहा है, ताकि आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति हो सके। भारत में बने कोविड-19 के हालात विश्व के लिए चिंता की बात है।
अमेरिकी अखबारों में भी उम्मीद जताई जा रही है कि भारत इन हालात से उबरेगा और वापसी करेगा। वाशिंगटन पोस्ट ने प्रमुख संपादकीय में लिखा, भारत बहुत दूर की समस्या नहीं है। वैसे भी महामारी के हालात में दूरी व समय मायने नहीं रखते। जहां तक हो मदद पहुंचानी चाहिए।
अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स में अंतरराष्ट्रीय मामलों के मुखिया और कार्यकारी उपाध्यक्ष मेरिन ब्रिलियंट ने कहा, विश्व को भारत की मदद करनी चाहिए, क्योंकि भारत भी मदद करता आया है। कोशिश करेंगे उन्हें मदद में कोई बाधा पैदा न हो।