भारत ने सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले से भी नहीं ली सीखः सर्वे

भारत ने सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले से भी नहीं ली सीखः सर्वे

नई दिल्ली
भारत में बीते दो साल में बैंकिंग धोखाधड़ी के कई मामले सामने आए हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि इन्हें रोकने की दिशा में थोड़ा बहुत प्रयास भी नहीं किया गया है। आलम यह है कि इन दो सालों में बैंकिंग धोखाधड़ी की घटनाओं में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। ग्लोबल रिसर्च फर्म डेलॉय टच तोहमात्सुय एलएलपी ने अपने सर्वे में यह जानकारी दी है। यह सर्वे सोमवार को जारी किया जाएगा।

   
डेलॉय ने कहा, 'रेग्युलेटरी दिशा-निर्देशों या फर्जीवाडे़ की बढ़ती घटनाओं के चलते बैंकों के बीच अपने फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट फ्रेमवर्क को मजबूत करने के प्रति जागरूकता बढ़ी है, हालांकि बैंकों के लिए फाइनैंशल क्राइम कंप्लायंस एजेंडे का एकीकरण जरूरी है।' सर्वे के मुताबिक, 'फर्जीवाड़े की घटनाओं में बढ़ोतरी इस तरह की घटनाओं से निपटने में नाकामी का नतीजा है और इनका पता लगाना अभी भी टेढ़ी खीर है।'

बैंकों के पास संसाधनों की कमी
प्रौद्योगिकी के विकास और डिजिटल चैनलों ने फर्जीवाड़ों को ढूंढना अधिक मुश्किल कर दिया है और इस तरह के फर्जीवाड़ों का पता लगाने के लिए अधिकतर बैंकों के पास फॉरेंसिक एनालिटिक्स टूल्स की कमी है। सरकार ने हालांकि फर्जीवाड़ों को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें से सबसे हाल का कदम सरकारी बैंकों के सीईओ को बैंकिंग फ्रॉड के संदिग्धों के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर्स जारी करने का आग्रह जारी करने का अधिकार देना है।

बैंक ने की कई चूक
उल्लेखनीय है कि इस साल की शुरुआत में देश का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला तब सामने आया, जब हीरा कारोबारी नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के 14 हजार करोड़ रुपये लेकर देश से चंपत हो गया। पीएनबी की आंतरिक रिपोर्ट में यह पाया गया कि मुंबई में बैंक के ब्रैडी हाउस ब्रांच में कई तरह की संदिग्ध गतिविधियां सामने आई थीं, जो वरिष्ठ अधिकारियों को सतर्क करने के लिए काफी थीं। सबसे बड़ी चूक तब हुई, जब 2010 में मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी के ब्रांच जॉइन करने के बाद नीरव मोदी व मेहुल चोकसी की कंपनियों का कारोबार बैंक की उस शाखा के साथ कई गुना बढ़ गया, जिसे पीएनबी ने नजरअंदाज कर दिया।

शुरुआती संकेतों को किया गया नजरअंदाज
इसके अलावा, फ्रॉड के कई अन्य शुरुआती संकेत सामने आए थे। आंतरिक रिपोर्ट में यह पाया गया कि ब्रांच मैनेजर्स और उनके सुपरवाइजरों ने संख्याओं पर ध्यान नहीं दिया, जबकि कई आधारभूत मानदंडों का भी खयाल नहीं रखा गया। उदाहरण के लिए, अनऑथराइज्ड बिनजस को लेकर फॉरेक्स ट्रांजैक्शन वाउर को ब्रांच में संभालकर नहीं रखा गया और स्विफ्ट मैसेजों को कोर बैंकिंग सिस्टम (सीबीएस) में इंटर नहीं किया गया।