भूपेश सरकार और जांच एजेंसी कर रही नान घोटाले की कार्यवाही रोकने की कोशिश, एसीबी न्यायालय को लिखा पत्र
रायपुर
36 हजार करोड़ के नान घोटाले में डायरी के नए पन्नों को लेकर पत्रिका का खुलासा सामने आने के बाद राज्य सरकार दोबारा न्यायालय पहुंची है। एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने सोमवार को न्यायालय से अनुरोध किया है कि विशेष जांच दल के परिणाम आने तक इस प्रकरण में अग्रिम कार्यवाही स्थगित रखें।
बता दें कि रमन सरकार ने चुनाव परिणामों की घोषणा से ठीक पहले दो आइएएस अधिकारियों अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। एसीबी के डिप्टी एसपी विश्वास चंद्राकर ने न्यायालय को पत्र लिखकर कहा है कि आगामी तीन महीने में एसआइटी द्वारा इस प्रकरण की जांच पूरी कर ली जाएगी। महत्वपूर्ण है कि आइएएस अधिकारी अनिल टुटेजा इस मामले में अग्रिम जमानत के लिए न्यायालय पहुंचे हैं। एसीबी द्वारा न्यायालय को लिखे गए ताजा पत्र से यह लगभग तय माना जा रहा है कि एसीबी आइएएस अधिकारियों की अग्रिम जमानत की अर्जी की फिलहाल उच्च न्यायालय में खिलाफत नहीं करेगी।
भूपेश-सिंहदेव के पत्र का भाजपा दे रही हवाला
इस मामले में भाजपा अब खुलकर फ्रंट पर आ गई है। नेता प्रतिपक्ष एवं प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष टी. एस. सिंहदेव द्वारा अप्रैल 2017 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे गए एक पत्र का हवाला देते हुए कहा है, इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हो रहा है कि कोई भी जांच एजेंसी स्वयं कोर्ट की प्रक्रिया को रोकने का प्रयास कर रही है।
बता दें कि दोनों नेताओं द्वारा उक्त पत्र में टुटेजा की गिरफ्तारी की मांग की गई थी। कौशिक ने कहा है कि कोर्ट ने नान के पूर्व प्रबंधक शिवशंकर भट्ट की जमानत याचिका को खारिज करते हुए एक साल के भीतर जांच पूरी करने के आदेश दिए थे।
यह लिखा है पत्र में
एसीबी द्वारा न्यायालय को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि विशेष अनुसंधान दल द्वारा इस प्रकरण से सम्बन्धित तथ्यों का पुनर्निर्धारण तथा उसके आधार पर अंतिम सत्यान्वेषण किया जाना है। एसीबी ने इस पत्र में नान की डायरी के उन पन्नों का भी जिक्र किया है जिनकी जांच नहीं की गई है। इसके अलावा आय से अधिक संपत्ति के मामले और उन आरोपियों को गवाह बनाए जाने का भी जिक्र है जिनके पास से लाखों की नगदी बरामद की गई थी। इस पत्र में एसीबी ने न्यायालय को साफ़ तौर पर लिखा है कि प्रकरण में विवेचना जून 2014 से फरवरी 2015 के बीच की हुई है उसके पूर्व की अवधि को जांच में शामिल नहीं किया गया है। गौरतलब है कि एसआइटी जांच का आदेश देने के बावजूद राज्य सरकार अब तक एसआइटी टीम का गठन नहीं कर सकी है।
डीजीपी डीएम अवस्थी ने बताया कि अनिल टुटेजा की जमानत अर्जी का न्यायालय में विरोध किया जाएगा या नहीं इसका निर्णय एसआइटी लेगी।