मां के इलाज का पत्र लेकर पहुंचा था केजरीवाल पर मिर्च पाउडर से हमले का आरोपी
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नई दिल्ली
दिल्ली सचिवालय में सीएम अरविंद केजरीवाल पर मिर्ची पाउडर से किए गए हमले + पर आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच तू-तू, मैं-मैं जारी है। इस बीच पता चला है कि पुलिस की हिरासत में आरोपी अनिल को सचिवालय से ही पास जारी किया गया था। दिल्ली पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि आरोपी अनिल शर्मा अपनी मां के इलाज को प्रार्थना पत्र लेकर सचिवालय गया था। आरोपी की मां बीमार है। वह मदद के लिए पहुंचा था। उसी आधार पर उसे एंट्री मिली।
कोई राजनीतिक तार की भनक नहीं
पूछताछ में गिरफ्तार आरोपी अनिल ने खुद को सच्चा देशभक्त बताया है। अनिल ने पुलिस के सामने कहा कि वह देश का सच्चा नागरिक है और देश के लिए काम करता है। अडिशनल डीसीपी ने कहा कि आरोपी सीएम ऑफिस से एंट्री पास मिलने के बाद दाखिल हुआ। अभी तक किसी राजनीतिक पार्टी से किसी तरह के कनेक्शन की बात सामने नहीं आई है।
आसान नहीं है बाहरी व्यक्ति का प्रवेश
दिल्ली सचिवालय में किसी भी बाहरी आदमी की एंट्री आसान नहीं है। यहां सुरक्षा की चार स्तरीय व्यवस्था है, जिसे पार करने के बाद ही कोई सचिवालय के अंदर जा सकता है। क्या है यह सिक्यॉरिटी सिस्टम, हम आपको बताते हैं...
1. दिल्ली सचिवालय में आम लोगों की एंट्री केवल गेट नंबर 6 से होती है। इस गेट पर एक मेटल डिटेक्टर लगा हुआ है, जिससे होकर लोग अंदर जाते हैं। चंद कदम आगे ही फर्स्ट लेयर सिक्यॉरिटी चेक पॉइंट है। यहां आमतौर दो या तीन पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं, जो पहले आने वाले का कोई पहचान पत्र देखकर उसकी पहचान पुख्ता करते हैं और सरसरी तौर पर हाथ से पैंट या शर्ट की जेब चेक करते हैं। साथ ही अगर आने वाले के पास कोई बैग है, तो उसे भी मैनुअली चेक करते हैं। यहीं पर पास में महिलाओं की चेकिंग के लिए भी एक बूथ बना हुआ है, जिसमें महिला पुलिसकर्मी तैनात रहती हैं और इसी तरह से महिलाओं की चेकिंग करती हैं।
2. इस चेक पॉइंट से आगे बढ़ने के बाद उस शख्स को पहले रिसेप्शन पर जाना होता है, जहां उसका एक विजिटर पास बनाया जाता है। यहां पहले यह पूछा जाता है कि उसे किस विभाग में किससे मिलने जाना है। फिर संबंधित विभाग में फोन करके कन्फर्म किया जाता है कि उस शख्स को अंदर भेजा जाए या नहीं। इजाजत मिलने के बाद ही पास बनाया जाता है। इसमें उस शख्स का फोटो खींचा जाता है और उसका नाम, पता आदि कंप्यूटर सिस्टम में फीड करके पास का प्रिंट निकाल कर दिया जाता है, जिसमें एक बार कोड भी प्रिंट होता है।
3. पास बनवाने के बाद जब सचिवालय की मेन बिल्डिंग की तरफ जाते हैं, तो एक और चेक पॉइंट आता है, जहां पुलिस तैनात रहती है। यहां मेट्रो या स्टेडियम की तरह ऑटोमैटिक गेट लगे हुए हैं। ये गेट तभी खुलते हैं, जब पास पर बने बारकोड को मशीन पर पंच किया जाता है। मशीन जब पास को रीड कर लेती है, तो दीवार पर लगी स्क्रीन पर पास लेकर आए शख्स का फोटो और अन्य डीटेल्स नजर आती है। उसे वेरिफाई करने के बाद ही इस गेट से आगे जाने की इजाजत मिलती है।
4. यह चौथा और आखिरी सिक्यॉरिटी चेक पॉइंट है। यहां एक बैगेज स्कैनर लगा हुआ है। अंदर जा रहे व्यक्ति के पास अगर कोई बैग है, तो उसे इस स्कैनर में डालकर चेक किया जाता है और अगर कोई संदिग्ध सामान नजर आता है, तो बैग को खोलकर फिर से उसकी मैनुअल तरीके से चेकिंग की जाती है। साथ ही बैग लेकर आए शख्स की जेबों की भी एक बार और चेकिंग होती है, तब जाकर अंदर जाने की इजाजत मिलती है। इस चेक पॉइंट से आगे बढ़ने के बाद कोई भी व्यक्ति सचिवालय के किसी भी फ्लोर पर जा सकता है। हालांकि सीएम के दफ्तर के बाहर जरूर अलग से कुछ सिक्यॉरिटी गार्ड तैनात रहते हैं, जो हर आने-जाने वाले पर नजर रखते हैं।