मोनाजिर हसन को दोबारा पार्टी में लाकर जेडीयू ने एक तीर से साधे दो निशाने!

पटना
एनडीए में अंदरखाने में चल रहे खींचतान के बीच सोमवार को जेडीयू ने पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले मोनाजिर हसन को एक बार फिर से अपने पाले में करके एक तीर से दो निशाने लगाए हैं. जेडीयू ने एक ओर जहां मोनाजिर हसन को पार्टी में वापसी करवाकर अल्पसंख्यक वोट बैंक को मजूबत किया है दूसरे सहयोगियों को भी मैसेज दे दिया है कि जो उनको पसंद नहीं करते, वो उनकी पसंद हो सकते हैं.

गौरतलब है 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी विकास के साथ-साथ हिंदुत्व का कार्ड खेलने की तैयारी में दिख रही है. वहीं, गठबंधन में रहकर जेडीयू अल्पसंख्यकों को लुभाने की कोशिश में लगी हुई है, क्योंकि जोकीहाट उपचुनाव में राजद ने अल्पसंख्यकों को अपने पाले में करके जेडीयू से उसकी सिटिंग सीट छीन ली थी. जेडीयू ने तभी तय कर लिया था कि मुस्लिम मतदाता को पाले में लाए बिना राजद के एमवाई समीकरण को टक्कर नहीं दिया जा सकता है.

दरअसल, बिहार में बीजेपी के सहयोग से सरकार चला रही जेडीयू बीजेपी के हिंदुत्व ठप्पे से इतर खुद को रखने की कोशिश कर रही है, क्योंकि हिंदुत्व ठप्पे के चलते मुलिस्म मतदाता जेडीयू से छिटक जाते हैं, लेकिन गठबंधन में रहकर अब जेडीयू इसकी काट खोजने में जुट गई है. यही वजह है कि जेडीयू छोड़कर बीजेपी का दामन थाम चुके बड़े अल्पसंख्यक नेता और पूर्व मंत्री मोनाजिर हसन को जेडीयू में फिर से शामिल करा लिया है.

जेडीयू में दोबारा वापसी के बाद मोनाजिर हसन ने जेडीयू को बीजेपी से बेहतर घर बताकर बीजेपी पर सवाल खड़ा कर दिया. बात यही नहीं रुकी, मोनाजिर हसन से कहा कि नीतीश बीजेपी के साथ रहकर भी सेक्युलरिज्म के साथ समझौता नहीं कर सकते हैं. मोनाजिर हसन के उक्त बयान के हल्के में नहीं लिया जा सकता है, क्योंकि जब वो नीतीश के सेक्युरलिज्म की बखान कर रहे थे, उनके बगल में जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह बैठे हुए थे और उनके चेहरे पर मंद-मंद मुस्कराहट थी.

हालांकि मोनाजिर हसन के बीजेपी छोड़कर जेडीयू में पुनर्वापसी के बाद से प्रदेश में राजनीतिक बहस तेज हो गई है. जानकार इसे बीजेपी और जेडीयू के बीच खींचतान बता रहें है, लेकिन राजनीति का कायदा है कि हर पार्टी पहले अपना फायदा देखती है. जेडीयू तो एनडीए में होते हुए भी अल्पसंख्यक को लुभाने में पूरी तरह से जुटी हुई है, उसे ये फर्क नहीं पड़ता कि उसके कदम से उसके सहयोगी को दिक्कत होगी या नहीं, क्योंकि नीतीश इससे पहले भी ऐसा कर चुके है.