यूपी सरकार ने दो बच्चों पर मिलने वाला भत्ता किया खत्म, सालाना बचेंगे 500 करोड़

यूपी सरकार ने दो बच्चों पर मिलने वाला भत्ता किया खत्म, सालाना बचेंगे 500 करोड़

लखनऊ
प्रदेश सरकार ने दो बच्चों के सीमित परिवार पर राज्य कर्मचारियों को स्वैच्छिक परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत दिए जाने वाले अतिरिक्त प्रोत्साहन भत्ते को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है। इस फैसले से प्रदेश के करीब तीन लाख कर्मचारियों को 250 से लेकर 650 रुपये प्रति माह का नुकसान होगा। इसके अलावा पांच अन्य भत्ते भी खत्म कर दिए गए हैं।

भत्तों को समाप्त किए जाने का शासनादेश गुरुवार को अपर मुख्य सचिव वित्त संजीव मित्तल ने जारी किया है। लिखा है कि समय-समय पर मंजूर किए गए इन भत्तों की प्रासंगिकता अब नहीं रह गई है। मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इन भत्तों को समाप्त किए जाने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था, लेकिन मीडिया ब्रीफिंग में इसका जिक्र तक नहीं किया गया था। अब गुपचुप तरीके से सीधे इसका शासनादेश जारी किया गया है। स्वैच्छिक परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत दिए जाने वाले प्रोत्साहन भत्ते का लाभ दो बच्चे तक परिवार सीमित रहने पर कर्मचारियों को 40 वर्ष की आयु के बाद दिया जाता रहा है।

कर्मचारियों के वेतनबैंड के मुताबिक 250, 450 और 650 रुपये प्रति माह की दर से यह भत्ता मिलता था। बताया जाता है कि द्विभाषी प्रोत्साहन भत्ता, कंप्यूटर संचालन भत्ता, स्नातकोत्तर भत्ते का लाभ भी बड़ी तादाद में कर्मचारियों को मिल रहा था। परियोजना भत्ता सिर्फ सिंचाई विभाग में मिलता था। एकमात्र कैश हैंडलिंग भत्ता आज के समय में अनुपयोगी नहीं रह गया था। अधिकांश लेनदेन अब ऑनलाइन किए जा रहे हैं।

प्रदेश सरकार ने स्वैच्छिक परिवार कल्याण प्रोत्साहन भत्ते सहित समाप्त किए गए सभी छह भत्तों को अन्य भत्ते की श्रेणी में रखा है। इस साल बजट में अन्य भत्ते के मद में 947.31 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। एचआरए, सीसीए, प्रैक्टिस भत्ता इनसे अलग हैं। वित्तीय जानकारों के मुताबिक अन्य भत्तों में सबसे अधिक धनराशि परिवार कल्याण प्रोत्साहन भत्ते पर खर्च होती थी। इन सभी भत्तों को समाप्त किए जाने से सरकार करीब 500 करोड़ रुपये सालाना तक की बचत करेगी।

उ.प्र. सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्र ने कहा है कि प्रधानमंत्री सीमित परिवार को देशभक्त परिवार कहते हैं। प्रदेश सरकार का यह फैसला जनसंख्या बढ़ाने वाला है। सरकार का फैसला देश और प्रदेश हित में अनुचित है। यह कर्मचारियों पर कुठाराघात है।