रिसर्च, कैंसर से बचा सकता है गौ मूत्र?, जान‍िए क्‍या कहते है विशेषज्ञ इस बारे में


गाय के पेशाब को गाय का मूत्र या गौमूत्र कहते हैं और आयुर्वेद में इसका प्रयोग कई रोगों के ईलाज के लिए किया जाता है। गुजरात की जूनागढ़ यूनिवर्सिटी के बायोटेक्‍नोलॉजी वैज्ञानिक का दावा है कि गौमूत्र से मुंह, फेफडों, किडनी, त्‍वचा, सर्विक्‍स और ब्रेस्‍ट कैंसर का ईलाज संभव है।

रिसर्च टीम में श्रद्धा भट्ट और रूकमसिंह तोमर के साथ कई अन्‍य शोधकर्ता भी इस रिसर्च में शामिल थे और इस निष्‍कर्ष तक पहुंचने के लिए उन्‍होंने सालों तक इस विषय पर अध्‍ययन किया है।


श्रद्धा भट्ट का कहना है कि ' ये रिसर्च जोखिमभरी थी क्‍योंकि इसमें हमने सीधाी कैंसर की कोशिकाओं को एक बोतल में भरकर उस पर अध्‍ययन किया था। हमने रिसर्च में पाया कि एक दिन में कैंसर की कोशिकाओं को मारने के लिए गौ मूत्र प्रभावशाली होता है।

इस रिसर्च से जुड़े अन्‍य सदस्‍य का कहना है कि कीमोथेरेपी हैल्‍दी सेल्‍स को भी नष्‍ट कर देती है जबकि गौ मूत्र सिर्फ संक्रमित कोशिकाओं को ही खत्‍म करता है।

गौ मूत्र से कैंसर के मरीज़ों का ईलाज करने की प्रक्रिया कुछ अलग है। आसवन के माध्‍यम से गौ मूत्र को शुद्ध और परिष्‍कृत किया जाता है और ये सूर्यास्‍त के समय कैंसर मरीज़ों को दिया जाता है। संस्थापक, एमडी और वरिष्ठ आयुर्वेदिक परामर्शदाता डॉ. शांतारमन का कहना है कि उन्‍होंने जरूरत के अनुसार गौ मूत्र में कई जडी बूटियों को मिलाया है। गौ मूत्र के औषधीय गुणों के बारे में पूछने पर उन्‍होंने बताया कि गाय के कूबड़ को सूर्य की किरणों से औषधीय गुण प्राप्‍त होते हैं। इससे गौ मूत्र बनता है जिसमें औषधीय यौगिक होते हैं जोकि कई तरह के जीवाणुओं को नष्‍ट करने के साथ-साथ कैंसर से भी रक्षा करता है।

गाय की रासायनिक संरचना क्या है?

गाय के मूत्र में 95 प्रतिशत पानी के साथ 2.5 पर्सेंट यूरिया, खनिक, 2.5 प्रतिशत एंजाइम्‍स, हार्मोंस और 24 तरह के नमक मौजूद होते हैं। इसके अलावा गाय के मूत्र में कैल्शियम, आयरन, फास्‍फोरस, पोटाशियम, कार्बोनिक एसिड, नाइट्रोजन, मैंगनीज़, सल्‍फर, अमोनिया, फास्‍फेट, यूरिया, अमीनो एसिड एंजाइम्‍स, यूरिक एसिड, साइटोकिन और लैक्‍टोज़ होता है।


चलिए जानते हैं कि गाय के मूत्र के स्वास्थ्य लाभों के बारे में विज्ञान का क्या कहना है :
गौ मूत्र में एंटीमाइक्रोबियल यौगिक होते हैं

गाय के मूत्र में एंटी माइक्रोबियल यौगिक मौजूद होते हैं और यूरिया, ओरम हाइड्रोक्‍साइड, क्रिएटिनाइन, कार्बोलिक एसिड, कैल्शियम, मैंगनीज़ और फेनॉल्‍स की वजह से इसमें कीटाणुनाशक यौगिक भी मौजूद होते हैं। इसमें तेज एंटीमाइक्रोबियल शक्‍ति होती है जोकि ई कोलि, साल्‍मोनेला टाइफी, प्रोटिअस वल्‍गैरिस, एस ओरिअस, बैकिलस सेरिअस और स्‍टैफिलोकोकस एपिडर्मिस जैसे पेथोजन को रोकता है।

फंगस को नष्‍ट करने में असरकारी

एक स्‍टडी के मुताबिक गौ मूत्र डैंड्रफ के ईलाज में नीम की पत्तियों और नीबू के रस से ज्‍यादा असरकारी होता है। डैंड्रफ पैदा करने वाले मैलासिजिआ फंगी को बढ़ने से भी गौ मूत्र रोक सकता है। इसके अलावा ये अन्‍य फंगल इंफेक्‍शन से भी लड़ने में मदद करता है।

बढिया एंटीसेप्टिक है

गौ मूत्र का एक फायदा ये भी है इसकी प्रकृति एंटीसेप्टिक होती है। घाव के ऊपर गौ मूत्र लगाने से वो जल्‍दी भर जाता है।

पैरासाइट्स से भी गौ मूत्र रक्षा करता है

आंत्र परजीवी कई तरह की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं जैसे पेट में दर्द, पेचिश और शरीर में कई पोषक तत्‍वों की कमी का कारण होते हैं। एक स्‍टडी में सामने आया है कि इन रोगों में परजीवी को प्रभावी ढंग से गाय के मूत्र से नष्‍ट किया जा सकता है।

इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत करता है

भारत की प्राचीन किताबों में लिखा है कि गौ मूत्र से शरीर के इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूती मिलती है और वो कई तरह के रोगों से लड़ने में सक्षम हो पाता है। संक्रमण से लड़ने में भी गौ मूत्र मदद करता है।

बायोएनहैंसर के रूप में करता है काम

बायोएनहैंसर का मतलब है एक पदार्थ जो एक साथ मिश्रित होने पर किसी अन्य पदार्थ की दक्षता में वृद्धि करने में सक्षम है। जैसे कि दूध और हल्‍दी। आयुर्वेद में गौ मूत्र को एकमात्र ऐसा पशु उत्‍पाद बताया गया है जोकि कई एंटी फंगल, एंटीमाइक्रोबियल और एंटीकैंसर यौगिकों के बायोएनहैंसर के रूप में कार्य करता है।