लीबिया में पीने के पानी तक की किल्लत से जूझ रहे लोग
त्रिपोली
यदि किसी देश के लिए उसके प्राकृतिक संसाधन ही मुसीबत का सबब बन गए हों तो वह है लीबिया। अफ्रीका महाद्वीप के सबसे ज्यादा ऑइल रिजर्व और आबादी में तीसरे नंबर का देश होने के बाद भी लीबिया मुसीबतों का दौर झेल रहा है। हालात यह है किं तमाम लोगों तक पीने के पानी और सीवरेज सिस्टम की भी सुविधा नहीं है। इसकी वजह कुछ और नहीं है बल्कि तेल पर कब्जे के संघर्ष, भ्रष्टाचार और जंग की स्थिति है। लीबिया में कर्नल गद्दाफी के शासन में दशकों तक करप्शन का बोलबाला रहा। 2011 में आंदोलन चला और गद्दाफी को सत्ता से बेदखल कर दिया गया। इसके बाद मुसीबतें नौकरशाही और सत्ता के गलियारों से निकलकर आम लोगों तक पहुंच गईं। 2014 में गृह युद्ध छिड़ गया और पूरे देश में अशांति फैल गई। अब हाल यह है कि देश में कई हथियारबंद समूह प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जे के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस संघर्ष की जड़ में इस्लामिक अतिवाद भी है। ये हथियारबंद समूह देश के एक्सपोर्ट में 95 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले तेल पर अपना कब्जा चाहते हैं। इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक सैन्य संघर्ष के इस दौर में करप्शन भी बहुत बढ़ गया है। गद्दाफी के दौर में भी करप्शन देश के लिए बड़ी समस्या था, लेकिन अब सैन्य संघर्ष की स्थिति में इसने पूरे देश के तानेबाने पर ही कुंडली मार ली है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनैशनल के करप्शन परसेप्शंस इंडेक्स के मुताबिक 180 देशो में लीबिया 172वें स्थान पर है।
यूं बर्बाद होता जा रहा है लीबिया
लीबिया में हालात बिगड़ने की सबसे बड़ी एक वजह यह भी है कि यहां भ्रष्ट तत्व आधिकारिक एक्सचेंज पर रेट पर कारोबार करने की बजाय ब्लैक मार्केट में भी दिनार को खत्म कर रहे हैं। एक डॉलर से फिहाल 1.4 डॉलर खरीदे जा सकते हैं। लेकिन, अधिकारी और कारोबारी महत्वपूर्ण चीजों की खरीद के लिए आधिकारिक रेट अदा करते हैं और फिर अवैध रूप से उन्हें कैश दे देते हैं, जो 7 दिनार प्रति डॉलर तक का रेट होता है।