लोग आशंकित, किले में तब्दील अयोध्या, विश्व हिंदू परिषद की 5 घंटे की धर्मसभा

अयोध्या
अयोध्या की सड़कें चारों तरफ विश्व हिंदू परिषद के 'चलो अयोध्या' और शिवसेना के 'पहले मंदिर, फिर सरकार' के पोस्टरों से पटी हुई हैं। शिवसेना और वीएचपी के भगवा झंडे भी लगे हुए हैं। वीएचपी की धर्मसभा करीब 5 घंटे तक चलेगी। इस दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के लिए भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है और ड्रोन से निगरानी की जा रही है। वहीं स्थानीय लोग किसी अनहोनी की आशंका से डरे हुए हैं।
वीएचपी के धर्मसभा कार्यक्रम के लिए बड़े भक्तमाल की बगिया में शनिवार को तैयारियां युद्धस्तर पर की गई हैं। अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैयादास ने इंतजामों का जायजा लिया। उन्होंने बताया, 'सुप्रीम कोर्ट कहता है कि यह मुद्दा उनकी प्राथमिकता सूची में नहीं है। हमारे लिए राम मंदिर से महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है।' अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय भी इस दौरान मौके पर पहुंचे और स्थितियों का जायजा लिया।
इसमें 100 से ज्यादा संत बुलाए गए हैं। राम भद्राचार्य, स्वामी परमानंद, हंसदेवाचार्य और राम भद्राचार्य के साथ राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास भी मौजूद रहेंगे। आयोजकों ने तीन लाख से अधिक भक्तों के आने का दावा किया है। वीएचपी के प्रांत संगठन मंत्री (अवध) भोलेंद्र ने एक बयान में कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए यह अंतिम धर्मसभा होगी। इसके बाद कोई धर्मसभा नहीं होगी और मंदिर निर्माण शुरू होगा।
अयोध्या में होने वाली धर्मसभा में काशी नगरी के वीएचपी कार्यकर्ता अलग ही दिखेंगे। वाराणसी और आसपास के जिले से करीब 50 हजार वीएचपी कार्यकर्ता शनिवार को बस-ट्रेन एवं अन्य साधनों से रामनगरी के लिए रवाना हुए। कार्यकर्ता अपने साथ त्रिशूल, भस्म, बाघ अंबर आदि ले गए हैं। धर्मसभा में उमड़ने वाली भीड़ में ये जटा-जूटधारी भगवान शिव का रूप धारण कर पहुंचेंगे। इस बीच वाराणसी आए ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन आश्रम के चिंदानंद सरस्वती ने कहा कि जैसे मक्का मुसलमानों के लिए आस्था का विषय है, वैसे ही राम मंदिर हिंदुओं के लिए।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी विश्व हिंदू परिषद की धर्मसभा को अपना समर्थन देने की बात कर चुके हैं। आरएसएस सूत्रों का कहना है कि संघ के कई प्रांत प्रचारकों को इस कार्यक्रम को सफल बनाने का जिम्मा दिया गया है।