विकास के मायने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार : भूपेश बघेल

रायपुर
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि विकास के मायने केवल सड़क, बिल्डिंग और निर्माण कार्य नहीं है, बल्कि इसके असली मायने नागरिकों को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी आवश्यक सुविधाएं देना है। उन्होंने नक्सल उन्मूलन के संदर्भ में कहा कि हमें सबसे पहले उस क्षेत्र के नागरिकों का विश्वास जीतना होगा। उन्हें लगना चाहिए कि वे सुरक्षा व्यवस्था के साये में महफूज एवं सुरक्षित हैं।
बघेल ने अपने ये उद्गार आज ‘इंटेलेक्चुअल मीट ऑन चेंजिंग छत्तीसगढ़-न्यू लीडरशिप, न्यू विजन’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में मैंने बस्तर संभाग के विभिन्न जिलों के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों का भ्रमण कर वहां के नागरिकों, ग्रामीणों, वनांचल के रहवासियों, नक्सलवाद से प्रभावित एवं पीड़ित लोगों, पत्रकारों, व्यापारियों, राजनीतिज्ञों और समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों से रुबरु होकर बातचीत की है। वनांचल का आदिवासी प्रकृति के स्वतंत्र वातावरण में स्वच्छंद रुप से अपनी सीमित आवश्यकता के साथ तथा अपने गीत, संगीत और नृत्य के साथ अपना सरल जीवन जीता है, लेकिन वह भी आज देश और दुनिया के साथ गति मिलाते हुए आगे बढ़ना चाह रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वनवासियों ने जंगल बचाया है। जंगलों में तीन पीढ़ियों से परम्परागत रुप से रहने वाले कब्जाधारियों को वन अधिकार पट्टा देने के लिए वर्ष 2006 में देश में अधिनियम बनाया गया, लेकिन अभी भी हम उन्हें सही तरह से पट्टा नहीं दे पाये हैं। इसके लिए ग्राम वन समितियां ही नहीं बनी । यह जरुरी है कि व्यक्तिगत पट्टों के अलावा वहां के समुदाय को सामाजिक वन अधिकार पट्टा प्रदाय किया जाए। इससे जहां एक ओर जंगल बचेगा और वहां के नागरिकों के जीवन यापन को बल मिलेगा, उनका उन्नयन होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा बस्तर के नागरिकों का विश्वास जीतने के लिए उनकी सरकार ने सबसे पहले टाटा के प्रस्तावित संयंत्र के लिए लगभग एक दशक पूर्व किसानों से ली गयी जमीन उन्हें वापस की। संयंत्र नहीं बनने पर नियमानुसार उन्हें जमीन वापस की जानी थी। लौहंडीगुड़ा क्षेत्र में 1700 किसानों और ग्रामीणों को 4200 एकड़ जमीन वापस दिलाई गई है, जिससे उनमें विश्वास पैदा हो । मुख्यमंत्री ने कहा देश में तेंदूपत्ता संग्रहण की सर्वाधिक दर छत्तीसगढ़ में उपलब्ध कराई जा रही है। राज्य में तेंदूपत्ता संग्रहण दर 2500 प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4000 रुपए की गई है। अनुसूचित जाति, जनजाति के नागरिकों के जाति प्रमाण पत्र तत्काल बनंे इसके लिए पिता के जाति एवं उनके बने प्रमाण पत्र के आधार पर उनके बच्चों के लिए तुरंत जाति प्रमाण पत्र बनाने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में खनिज आधारित उद्योगों के स्थान पर कृषि, उद्यानिकी और वनोपज पर आधारित उद्योगों के विकास पर जोर दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में धान आधिक्य मात्रा में उत्पादित हो रहा है । उसका उपयोग बायोफ्यूल के रूप में करने का प्रयास है । अगर छत्तीसगढ़ का किसान एवं मजदूर सुखी रहेगा, तो बाजार भी चलेगा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में पावर का आधिक्य है तो यहां पावर पर आधारित संयंत्र लगे, खनिज है तो उस पर आधारित इंटीग्रेटेड प्लांट लगे, बॉक्साइट है, तो एल्युमीनियम आधारित उत्पाद बने। अगर स्टील है तो साइकल, मोटर साइकिल निर्माण जैसे उद्योग लगे। यहां के संसाधन एवं उद्योग के बीच संतुलन बने। खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से उत्पादों का मूल्य संवर्धन हो, इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। छत्तीसगढ़ को सिर्फ खदान, धुंआ और प्रदूषण नहीं चाहिए। हमे खदान पर आधारित उद्योग भी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में करीब 4000 करोड़ रुपए की जिला खनिज न्यास राशि कांक्रीट और निर्माण कार्यों में लगा दी गईं। इस राशि का उपयोग खनिज प्रभावित क्षेत्रों के निवासियों के जीवन स्तर में सुधार करने, कुपोषण कम करने, स्वास्थ्य, डॉक्टरों की व्यवस्था आदि की व्यवस्था में होना चाहिए था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मामलों में समाज में चर्चा होनी चाहिए। समाज में चर्चा नहीं होती है इसलिए संसद में भी इसकी पर्याप्त चर्चा नहीं होती है । देश को पूछना चाहिए कि पुलवामा का जिम्मेदार कौन है। छत्तीसगढ़ में पैरा मिलिट्री बल बढ़ता गया है और 27 में से 14 जिले नक्सल प्रभावित हो गए है। सुरक्षा बल अपने आवागमन के लिए सड़क बनाना चाहते है और नागरिक अपने विकास के लिए, दृष्टिकोण में अंतर है इसे कम करना होगा। ताड़मेटला में 76 जवानों के शहादत के बाद भी राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। मदनवाड़ा में पुलिस अधीक्षक सहित 29 जवान शहीद हुए लेकिन उसकी जांच नहीं हुई । नक्सलवाद के नियंत्रण के लिए कारतूस एवं बारूद सामग्री निर्माण पर रोकथाम जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है। उनकी कल्पना के अनुरूप छत्तीसगढ़ के गांव को भी स्वावलंबी बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। वर्तमान समय जब पशुओं को खुले में छोड़े जाने के कारण किसानों को अपनी फसल बचाने में दिक्कतें आ रही हैं और रोड एक्सीडेंट बढ़ गए हैं, ऐसे में छत्तीसगढ़ के गांवों में गौठान बनाकर पशु संवर्धन करने तथा उन्हें छाया, पानी देने का कार्य किया जा रहा है। पशुधन को अब किसान की कमजोरी नहीं बल्कि ताकत बनाया जा रहा हैै । राज्य की लगभग दस हजार पंचायतों में से 15 प्रतिशत ग्राम पंचायतों का चिन्हांकन कर 1860 गौठान के लिए कार्य प्रारंभ किया गया है ।