क्या कांग्रेस के लिए संजीवनी सिद्ध होंगे विधानसभा चुनावों के परिणाम?

क्या कांग्रेस के लिए संजीवनी सिद्ध होंगे विधानसभा चुनावों के परिणाम?

रायपुर 
पांच राज्यों के एग्जिट पोल के नतीजों के बाद सबसे ज्यादा उत्साह में कांग्रेस है. कांग्रेस के नेताओं को लग रहा है कि अगर एग्जिट पोल के आंकड़े परिणाम में बदल गए तो दिल्ली की गद्दी दूर नहीं है और हो भी क्यों नहीं 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद पंजाब को छोड़ कांग्रेस कोई भी विधानसभा चुनाव जीत नहीं पाई है. ऐसे में कांग्रेस अगर एक साथ तीन राज्यों में सरकार बना लेती है तो उसका मनोबल सातवें आसमान पर होगा. साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए ये जीत किसी संजीवनी से कम नहीं होगी.

राहुल गांधी के परोक्ष या अपरोक्ष रूप से कांग्रेस की कमान संभालने के बाद ये एग्जिट पोल के आंकड़े कांग्रेस को सबसे बड़ी जीत दिला रहे हैं. ऐसे में उनकी पार्टी में उन पर सवाल उठाने वालों के लिए ये सबसे बड़ा जबाब होगा, लेकिन इन तीन राज्यों की जीत के बाद कांग्रेस को दिल्ली की कुर्सी मिल जाएगी, कांग्रेस नेताओं का ये आंकलन सच्चाई से कोसों दूर है, क्योंकि एग्जिट पोल के आंकड़े कांग्रेस को जिन तीन राज्यों में जीत दिला रहे हैं उनमें कुल लोकसभा सीटों की संख्या 65 हैं.

अगर हम इसमें पंजाब की 13 सीटों को जोड़ें तो संख्या 78 हो जाएगी यानी केवल उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों से 2 सीट कम. कहते हैं दिल्ली की गद्दी का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है यानि 80 सीटों वाला उत्तर प्रदेश 2019 के आम चुनावों में खास मायने रखेगा, लेकिन यहां कांग्रेस की स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है. इन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने अपने उन दो साथियों (समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी) को नाराज कर लिया है जिसके सहारे वह उत्तर प्रदेश में अपना वजूद बचाने की उम्मीद लगाए बैठी है.

कुछ ऐसा ही हाल 40 लोकसभा सीटों वाले बिहार, 42 सीटों वाले पश्चिम बंगाल और 39 सीटों वाले तमिलनाडू का है. यानि 543 लोकसभा सीटों में 200 से ज्यादा सीटें जिन चार प्रदेशों से आती है वहां कांग्रेस को अपना वजूद बचाने के लिए साथियों की जरूरत महसूस होती रही है, लेकिन इन तीन राज्यों के परिणाम का 2019 लोकसभा चुनावों पर कोई असर नहीं होगा ये कहना गलता होगा. अगर एग्जिट पोल के आंकड़े हकीकत में बदले तो कांग्रेस को इसका सीधा फायदा अपने सहयोगियों से मोलभाव करने में होगा.

पिछले तीन दशक की राजनीति पर नजर डालें तो देश गठबंधन की राजनीति के सहारे चल रहा है और जहां गठबंधन होगा वहां मोलभाव तो जरूर होगा. ऐसे में पंजाब चुनावों को छोड़ दें तो लगातार विधानसभा चुनाव हार रही कांग्रेस अपने सहयोगियों से मोलभाव करने में अपने को कमजोर पा रही थी, लेकिन एग्जिट पोल के आंकड़े अगर हकीकत में बदले तो हालात बदल जाएंगे. यानि कांग्रेस को कम से कम अपने सहयोगियों से मोलभाव करने के लिए तो संजीवनी मिल ही जाएगी.