विधानसभा चुनाव में अपने इस इकलौते सांसद पर कांग्रेस ने खेला है बड़ा दांव
दुर्ग
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ से जीतने वाले कांग्रेस के इकलौते सांसद ताम्रध्वज साहू को 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अहम जिम्मेदारियां दीं. चुनावी साल में ओबीसी वर्ग व सबसे अधिक मतदाता संख्या वाले साहू समाज के ताम्रध्वज साहू को कांग्रेस ने आॅल इंडिया कांग्रेस कमेटी के ओबीसी विभाग का अध्यक्ष बनाया. इतना ही नहीं कांग्रेस छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में सांसद ताम्रध्वज साहू को प्रत्याशी बना दिया. उन्हें प्रतिमा चंद्राकर का टिकट काटकर दुर्ग ग्रामीण सीट लड़ने के लिए दी गई है.
विधानसभा चुनाव में ताम्रध्वज साहू की टक्कर साहू समाज के ही भाजपा प्रत्याशी जागेश्वर साहू से हुई है. माना जा रहा है कि सूबे से अपने एकमात्र सांसद को चुनावी मैदान में उतारकर पार्टी ने प्रदेश में बाहुल्य साहू समाज को चुनाव में साधने की कोशिश की. कांग्रेस उम्मीदवारों की पहली और दूसरी सूची में साहू समुदाय से किसी बड़े चेहरे को टिकट नहीं दिया गया था, जिसके चलते इस समुदाय के मतदाताओं के कांग्रेस से नाराज होने की संभावना जाहिर की गई थी. माना जाता है कि ताम्रध्वज साहू को मैदान में उतारकर पार्टी ने इस नाराजगी को दूर करने की कोशिश की.
दुर्ग ग्रामीण से चुनाव मैदान में उतरे कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू और भाजपा के जागेश्वर साहू को लेकर एक समानता है. दोनों ही प्रत्याशी इस सीट के लिए पैराशूट कैंडिडेट हैं. 2008 में अस्तीत्व में आई इस सीट से पहली विधायक कांग्रेस की प्रतिमा चन्द्राकर बनी. 2008 के चुनाव में इन्हें जीत मिली थी, लेकिन 2013 के चुनाव में भाजपा की रमशीला साहू ने उन्हें हरा दिया. इस बार दोनों ही पार्टियों ने अपने पूराने प्रत्याशियों की टिकट काट दी.
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की कद्दावर नेता सरोज पांडेय को हराकर सांसद बने ताम्रध्वज साहू के सामने इस विधानसभा चुनाव में जीतने की चुनौती है. क्योंकि ताम्रध्वज साहू ओबीसी वर्ग के बड़े नेता होने के साथ ही प्रदेश में कांग्रेस मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में भी शामिल हैं.
कृषक परिवार से नाता रखने वाले ताम्रध्वज साहू साल 1998 से 2000 तक मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे. इसके बाद अलग राज्य बनने पर छत्तीसगढ़ की पहली सरकार में साल 2000 से 2003 तक राज्य मंत्री रहे. इसके बाद वे साल 2003 व 2008 के चुनाव में जीतकर छत्तीसगढ़ विधानसभा सदस्य बने, लेकिन 2013 के चुनाव में वे अपनी बेमेतरा सीट से भाजपा के अवधेश चंदेल से हार गए. इसके बाद के लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के इकलौते विजयी प्रत्याशी बने. अपने राजनीतिक कॅरियर में ताम्रध्वज कांग्रेस संगठन में कई अहम पदों पर रहे. वर्तमान में वे कांग्रेस के ओबीसी विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.