विवेकानन्द जी की 116 वीं पुण्यतिथि पर दो दिनी कार्यक्रम
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बड़वानी
प्राचार्य डॉ. एन. एल. गुप्ता के मार्गदर्शन में शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के स्वामी विवेकानन्द कॅरियर मार्गदर्शनप्रकोष्ठ द्वारा स्वामी विवेकानन्द जी की 116 वीं पुण्य तिथि के अवसर पर दो दिनी कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। कार्यकतार्य प्रीति गुलवानिया और अंतिम मौर्य ने बताया कि 4 जुलाई 1902 को विवेकानन्द जी ने निर्वाण की प्राप्ति की थी। नई पीढ़ी को विवेकानन्दजी के योगदान से अवगत कराने के लिए यह महत्वपूणर्य आयोजन किया जा रहा है। प्रथम दिवस सर्वप्रथम उद्यान में स्थित विवेकानंदजी की प्रतिमा का पूजन अर्चन किया गया।
डॉ. मधुसूदन चौबे एवं ग्यानारायण शर्मा ने बताया कि स्वामीजी 12 जनवरी, 1863 में जन्मे और 4 जुलाई, 1902 को उन्होंने देह त्याग दी। वे कम जिए पर खूब जिए। 39 वर्ष 05 माह और 23 दिन की अल्प प्रतीत होने वाली जिन्दगी में वे इतना कार्य और उच्च कोटि का ऐसा चिन्तन कर गए, जितना अन्य व्यक्ति सैकड़ों वर्षों में नहीं कर पाते। उनका मूल नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। सन्यास ग्रहण करने के बाद उन्होंने विविदिशानंद नाम रखा। खेतड़ी के राजा अजीतसिंह ने उन्हें विवेकानन्द का नाम दिया था। 11 सितम्बर, 1893 को शिकागो की विश्व धर्म संसद में विवेकानंद जी ने भारतीय सभ्यता और संस्कृति का गहरा प्रभाव स्थापित किया था। उन्होंने 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना करके अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं का प्रसार किया। कर्मयोग, ज्ञान योग जैसे ग्रंथों में उनके विचारों का खजाना उपलब्ध है। 4 जुलाई, 1902 को अर्थात् अपने जीवन के अंतिम दिन भी विवेकानंदजी सक्रिय रहे। उन्होंने नित्य की भांति ध्यान, अध्ययन-अध्यापन और शिष्यों से सम्वाद किया।
कार्यकर्ता अंतिम मौर्य ने बताया कि आयोजन के द्वितीय दिन पुण्यतिथि के अवसर पर 4 जुलाई को स्वामीजी को श्रद्धांजलि देने के साथ ही उनके विचारों पर चर्चा की जाएगी। संचालन किरण वर्मा ने किया। आभार भारती धार्वे ने व्यक्त किया। सहयोग सचिन सेन, संजय सोलंकी, निशा केवट, अमरेश गिरासे, अश्मित भाटिया, सुनिता बामनिया, हेमलता भाभर, विक्रमसिंह गोयल, गौरव सोलंकी, पवन परिहार ने किया।