सुप्रीम कोर्ट ने कहा- रेप पीड़िता को मिले ₹4 लाख का मुआवजा

नई दिल्ली 
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि यौन हिंसा और तेजाब के हमले की पीड़ितों के लिये मुआवजे के बारे में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) योजना को विशेष अदालतों को केन्द्र के नियम तैयार होने तक यौन हिंसा के शिकार बच्चों को मुआवजा देने के मामले में दिशानिर्देश की तरह पालन करना चाहिए। एनएएलएसए की योजना के तहत देश के किसी भी हिस्से में सामूहिक बलात्कार की पीड़ित को न्यूनतम पांच लाख और अधिकतम दस लाख रुपये मुआवजा मिलेगा। इसी तरह, बलात्कार और अप्राकृतिक यौन हिंसा की पीड़ित को कम से कम चार लाख और अधिकतम सात लाख रुपये बतौर मुआवजा मिलेगा। 

न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून के तहत केन्द्र ने अभी तक ऐसे नियम तैयार नहीं किये हैं जिनके आधार पर अवयस्क पीड़ितों के मामलों में विशेष अदालतें मुआवजा दे सकें। पीठ ने कहा कि यौन हिंसा और दूसरे अपराधों की पीड़ित महिलाओं के लिये एनएएलएसए की मुआवजा योजना और दिशानिर्देश दो अक्तूबर से पूरे देश में लागू होंगे। इस योजना को न्यायालय पहले ही स्वीकार कर चुका है। पीठ ने कहा, 'हमारी यह राय है कि एनएएलएसए की मुआवजा योजना केन्द्र सरकार द्वारा नियमों को अंतिम रूप दिए जाने तक यौन हिंसा के पीड़ितों को मुआवजा देने के मामले में विशेष अदालतों (पोक्सो कानून के तहत) के लिए दिशानिर्देश के रूप में काम करेंगे।'

पीठ ने कहा, 'विशेष अदालत यौन हिंसा के पीड़ित अवयस्क को अंतिरम मुआवजा देते समय पोक्सो कानून, जो लैंगिक रूप से तटस्थ है, के प्रावधानों और मामले की परिस्थितियों को ध्यान में रखेंगी। एनएएलएसए के अनुसार तेजाब हमले में कुरूप होने के मामले के पीड़ित को कम से कम सात लाख और अधिकतम आठ लाख रुपये मुआवजा मिलेगा। तेजाब के हमले में 50 फीसदी तक घायल होने की स्थिति में मुआवने की न्यूनतम राशि पांच लाख और अधिकतम आठ लाख रुपये निर्धारित की गई है। शीर्ष अदालत ने आज विशेष अदालतें से कहा कि वे इस तथ्य पर भी विचार करें कि यौन हिंसा के पीड़ित अवयस्कों को दी गई अंतरिम मुआवजे की रकम का दुरूपयोग नहीं होना चाहिए। 

पीठ ने निर्देश दिया कि एनएएलएसए की योजना और यह आदेश सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल के पास भेजे जाएं ताकि वे इसे निचली अदालतों और जिला या राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास भेज सकें। पीठ ने इस योजना और शीर्ष अदालत के आदेश का समुचित प्रचार करने का भी आदेश दिया। इससे पहले, न्यायमित्र की भूमिका निभा रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह ने कहा कि यौन हिंसा के पीड़ित अवयस्कों के लिए मुआवजे के मुद्दे पर विचार के लिए नालसा की बैठक बुलाई गई थी। नालसा ने पीठ से कहा कि पोक्सो कानून में संशोधन किया जाना था और इसे संसद के अगले सत्र में पेश किए जाने की उम्मीद है। पीठ ने महिला और बाल विकास मंत्रालय का प्रतिनिधित्व कर रहीं अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पिंकी आनंद से इस बारे में जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि इसमें संशोधन का प्रस्ताव है और इन संशोधन के बाद ही नियम तैयार किये जायेंगे। शीर्ष अदालत ने इससे पहले कहा था कि एनएएलएसए की योजना में सुधार किया जाये ताकि यौन हिंसा के शिकार बाल पीड़ितों पर भी यह लागू की जा सके।