स्वास्थ्य संबंधी फर्जी टिप्स की सोशल मीडिया पर आई बाढ़, डॉक्टर्स परेशान
नई दिल्ली
सोशल मीडिया इन दिनों एक ऐसा माध्यम हो गया है, जहां असली और फर्जी का फर्क करना बड़ा मुश्किल हो चला है। इसपर फैलने वाली फर्जी खबरों के प्रभाव में आकर कई बार लोग अपनी सेहत तक से खिलवाड़ कर बैठते हैं। दरअसल, सोशल मीडिया पर इन दिनों लोगों को अलग-अलग बीमारी से बचाने के नुस्खे बताए जाते हैं, जिनके चक्कर में लोग आसानी से आ भी जाते हैं।
ऐक्ट्रेस सोनाली बेंद्रे को कैंसर होने की खबर जैसे ही मीडिया में आई, तब से अबतक सोशल मीडिया पर कैंसर से बचने के तरीकों की बाढ़ आ चुकी है।
कैसी-कैसी फर्जी खबरें?
बताया जाता है कि 'ब्रेस्ट कैंसर से बचना है तो गर्मी में काले रंग की ब्रा मत पहनो, सूरज में निकलते वक्त अपनी छाती को पूरे तरीके से दुपट्टे से कवर करो।' यह संदेश भी काफी वायरल हो रहा है कि कैंसर से बचना है तो शुगर की मात्रा कम कर दें। हालांकि, इसपर डॉक्टर साफ कहते हैं कि चीनी तो सबको ही कम खानी चाहिए।
क्यों कर लेते हैं विश्वास
लोग इन संदेशों पर आसानी से विश्वास इसलिए कर लेते हैं, क्योंकि संदेश के साथ किसी मशहूर हॉस्पिटल या डॉक्टर या सर्वे का नाम फर्जी तरीके से जोड़ दिया जाता है। मतलब बात उनके हवाले से की जाती है। साथ ही भारत में डॉक्टरों की कमी भी इसकी बड़ी वजह है। एलोपैथिक डॉक्टरों की कमी इसकी बड़ी वजह मानी जाती है।
सरकारी डेटा के मुताबिक, भारत में एक अरब की जनसंख्या पर सिर्फ 10 लाख डॉक्टर हैं। इस वजह से लोगों में जानकारी का आभाव है और वह फर्जी संदेशों को इधर-उधर बिना सोचे-समझे भेज देते हैं।
मैक्स हॉस्पिटल के स्पेशलिस्ट डॉ संदीप बुद्धिराजा मानते हैं कि ये फर्जी खबरों इस वक्त उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। वह बताते हैं, 'अगर आज डॉक्टर उस उपचार को गलत बताता है, जिसे मरीज के दोस्त या उसने खुद सोशल मीडिया या इंटरनेट पर देखा है, तो वह उल्टा डॉक्टर को ही टेढ़ी निगाहों से देखने लगता है।'