होम्योपैथी डॉक्टर्स ने चिकित्सा के सुरक्षित तरीकों को अपनाया

होम्योपैथी डॉक्टर्स ने चिकित्सा के सुरक्षित तरीकों को अपनाया
  • नई पैकेजिंग टेक्नोलॉजी और आधुनिक डिस्पेंसिंग प्रथाओं के कारण
  • रोगियों को होम्योपैथिक दवाएं प्राप्त करने के की प्रक्रिया में आए कई सकारात्मक बदलाव

भोपाल
शहर के होम्योपैथी डॉक्टरों और प्रैक्टिशनरों ने दवाओं के पारंपरिक स्वरूप को मानकीकृत और लोकप्रिय बनाने के प्रयास में होम्योपैथिक दवा देने की सुरक्षित प्रक्रियाओं को लागू करना शुरू कर दिया है। बाजार में एलोपैथिक दवाओं और, यहां तक कि स्टेरॉइड्स के साथ, वह भी कभी-कभी बड़ी खुराक में, होम्योपैथी की खुली दवाओं की बिक्री की खबरे आने के बाद इस नई पद्धति को अपनाया गया है।

नई शुरुआत करते हुए डॉक्टरों ने मरीजों को प्री-मेडिकेटेड होम्योपैथिक दवाइयां लिखना भी शुरू कर दिया है, जिससे पारंपरिक दवाओं की तुलना में उनको ज्यादा गुणवत्ता वाली, सुरक्षित और स्वच्छ दवाएं मिल रही हैं। ये प्री-मेडिकेटेड दवाएं जिन्हें बोइरॉन ट्यूब्स भी कहा जाता है, सीलबंद ट्यूब में बिकने वाली उच्चर गुणवत्ता वाली दवाएं होती हैं और इन्हें होम्योपैथी में गोल्ड स्टैंडर्ड माना जाता है। ट्यूब्स पर इंग्रेडिएंट लेबलिंग, इंडिकेशंस, बैच संख्या, बेहतरीन डिजाइन, एक्सपायरी की तारीख और एमआरपी का उल्लेख किया जाता है, जिससे मरीजों को ज्यादा विकल्प और सहूलियत मिलती है। इसके अलावा, इन्हें हाथ से स्पर्श किए बिना हाईटेक प्लांट्स में बनाया जाता है।

डॉक्टर अब स्वदेशी पद्धति की तुलना में पैक किए गए ग्लोब्युल्स को तरजीह दे रहे हैं। पारदर्शी ग्लोब्युल्स ने अब पारंपरिक सफेद ग्लोब्युल्स की जगह लेना शुरू कर दिया है, जिन पर दवाओं की कोटिंग होती है। ये नए ग्लोब्युल्स सुनिश्चित करते हैं कि दवा समान रूप से बराबर से वितरित हो, एक-दूसरे से चिपके नहीं, न ही लिक्विड दवा की अधिकता में घुल जाये। इनकी सतह पर अल्कोहल भी नहीं होता है, जिससे ये बच्चों के लिए भी सुरक्षित हैं। ये ट्यूब्स फार्मास्युटिकल ग्रेड के प्लास्टिक से बनायी जाती हैं जो दवाओं के साथ रिएक्ट नहीं करती हैं।

आधुनिक होम्यो चिकित्सालय के सीनियर कंसल्टेंट, डॉ. श्याम सिंह सुंदर ने बताया कि ष्आधुनिक पैकेजिंग और प्रस्तुति के कारण होम्योपैथी में मानकीकृत दवाएं आ रही हैं। इसके अलावा, खुली दवाओं की जगह प्रीपैकेज्ड और लेबल वाली बोतलों का उपयोग किया जा रहा है जिससे होम्योपैथी अब एलोपैथी के बराबर पर आ रही हैं।

इसके अलावा, डॉक्टरों ने अपने क्लिनिक्स में ब्रांडेड दवाओं की बिक्री भी बंद कर दी है। अ-कुशल कर्मचारियों को दवाएं देने के काम से अलग किया जा रहा है। डिस्पेंसर्स ग्लोब्यूल्स, पानी या मिल्क शुगर में या होम्योपैथिक डॉक्टर के पर्चे के अनुसार दवाएं देने के अलावा, अन्य मामलों में मैन्यूफैक्चुर्स की सीलबंद दवाओं की बिक्री कर रहे हैं। ओटीसी ब्रांडेड होम्योपैथिक दवाओं की बिक्री करने वाली फार्मेसी भारत सरकार के नए नियमों के अंतर्गत इन दवाओं की सुरक्षा, दक्षता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक योग्यता वाले कर्मचारियों की भर्ती कर रही हैं। 

ये नए उपाय पूरे शहर के होम्योपैथी के ग्राहकों के लिए राहत की बात हैं। वर्तमान में, कई दुकानों पर खुली दवाओं की बिक्री हो रही है, जिनको नियमों के पालन की कोई चिंता नहीं होती है। उपभोक्ता भी होम्योपैथिक डॉक्टरों से ऐसी दवाएं देने की मांग कर रहे हैं, जिन पर लेबल लगा हो और दवा के इंग्रेडिएंट्स या कंटेंट का उल्लेख किया गया हो। पिछले दिनों से कई लोग फैक्ट्री में बनी सीलबंद बोतलों और प्री-सील्ड ट्यूब्स खरीदने लगे हैं, जिन्हें अधिकांश तौर पर जर्मनी और फ्रांस की बोइरॉन जैसी कंपनियों द्वारा बनाया जाता है।

डॉ. सिंह क्लिनिक की जनरल फीजिशियन डॉ. पूजा सिंह ने कहा कि  ष्दवाएं देने के नये तरीके दवाओं को सुरक्षित बना रहे हैं और उन्हें लंबा जीवन दे रहे हैं ताकि वे अधिक प्रभावी हो सकें और तेजी से काम कर सकें। विभिन्न फार्मेसियों में आसानी से उपलब्ध होने के कारण, ये दवाएं क्लीनिक में दवा तैयार करने में डॉक्टरों का लगने वाला  समय भी बचाती हैं और रोगियों को भी संतुष्टि प्रदान करती हैं कि उन्हें डॉक्टर द्वारा निर्धारित सटीक कंसन्ट्रेशन वाली दवा मिल रही है।
होम्योपैथी बीमार का इलाज करती है, न कि बीमारी का, और यह ‘समः समं समयति’ के सिद्धांत पर आधारित है। यह दुनिया की दूसरी बड़ी चिकित्सा प्रणाली है और इसमें ‘व्यक्तिगत’ उपचार पर जोर दिया गया है। चाहे रोजमर्रा की बीमारियां हो या पुराने रोग, भारत में होम्योपैथी को सबसे ज्यादा पसंदीदा प्रणाली के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। होम्योपैथिक दवाएं किफायती होती हैं और कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होने के कारण इसे ऐलोपैथिक दवाओं की तुलना में ज्यादा पसंद किया जाता है।

डॉ. सुंदर ने कहा कि एलोपैथी की तुलना में, होम्योपैथी कई बीमारियों के लिए स्थायी समाधान प्रदान करती है। यह केवल लक्षणों को ही नहीं, बल्कि रोग को ठीक करती है। शरीर की उपचार शक्ति को उत्तेजित करके और रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मजबूत करके, यह शरीर को स्वयं के बलबूते संक्रमण से लड़ने में मदद करती है।