होली पर गजब है यहां की परंपरा, बिना शादी के लोग निभाते है रिवाज

लखनऊ
कहते है कि बिना शादी के ससुराल कैसा। लेकिन उत्तर प्रदेश के ऐसे दो प्रसिद्ध गांव हैं जहां आपस में दोनों गांव में शादी नहीं फिर भी पूरे गांव का एक ससुराल है। जी हां, ये सच है। इस इस कहानी को सुनकर आप जरूर कुछ समय के लिए चौक जाएंगे। लेकिन चौकिए मत इसके बारे में कोई तो परंपरा जरूर जुड़ी है। दरअसल, उत्तर प्रदेश के दो ऐसे प्रसिद्ध गांव जिनका भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी से संबंध रहा है उन दोनों गांवों में बड़े-बुजुर्गों को भी याद नहीं है कि कभी दोनों गांवों के बीच किसी लडक़े लडक़ी की शादी हुई है।
गांव के लोग बताते हैं कि करीब पांच हजार साल पुरानी परंपरा यहां आज भी जीवित है। परंपराओं के कारण लोग इस गांव से वैवाहिक संबंध नहीं जोड़ते जबकि दोनों गांवों के लोग एक-दूसरे का भरपूर सम्मान करते हैं और ससुराल का नाता निभाते हैं।
जिस दो गांव की हम बात कर रहे हैं उस दो गांव का नाम है नंदगांव और बरसाना। इस दोनों गांव के को लेकर गांव के बड़े बुजुर्ग बतातें हैं कि इस परंपरा के पीछ भगवान श्रीकृष्ण और राधा का प्रेम है। इनके प्रेम को सम्मान देते हुए बरसाना गांव के लोग अपनी बेटियों की शादी नंदगांव में नहीं करते हैं और नंदगांव के लोग अपने बेटों की शादी बरसाना में नहीं करते हैं।
इस परंपरा को लेकर गांव के लोग बताते है कि नंदगांव और बरसाना की इस परंपरा को दोनों गांव के हर जाति धर्म के लोग निभाते हैं। बरसाना आज भी भगवान श्रीकृष्ण को अपना दामाद मानता है और नंदगांव को बेटी का ससुराल।
यही वजह है कि बरसाना के बड़े-बुजुर्ग आज भी बेटी का ससुराल मानकर नंदगांव का पानी तक नहीं पीते। नंदगांव से आने वाले मेहमानों को बरसाना निवासी दामाद की तरह मानते हैं और घर से खाली हाथ विदा नहीं करते।
सालों से चली आ रही इस परंपरा को लेकर गांव के लोग बताते है कि नंदगांव के लोग भी बरसाने वालों को बहू का मायका वाले मानते हैं और उनका आदर सम्मान करते हैं। बरसानावासी मानाते है कि नंदगांव से श्रीकृष्ण ही इस गांव के एक दामाद हैं और वही हमेशा रहेगें, किसी और को इस गांव का दामाद बनाकर वह राधा कृष्ण के प्रेम को कम करना नहीं चाहते।
राधा कृष्ण के प्रेम के प्रतीक के तौर पर आज भी बरसाना और नंदगांव के बीच लट्ठ मार होली खेली जाती है। बरसाना गांव की गोपियां 16 सिंंगार करके नंदगांव के गोपों को लट्ठ मारती हैं। बता दें कि यह राधा कृष्ण के उस प्रेम का प्रतीक है। जब नंदगांव के गोपों के साथ मिलकर श्रीकृष्ण बरसाना में गोपियों से होली खेलने पहुंचते हैं तो बरसाना की गोपियां प्रेम में पगे लट्ठ लेकर इन्हें मारती हैं और कान्हा बड़े आनंद से लट्ठ से बचाव करते हुए होली खतते हैं।