700 बोरवेल सील होने के बाद दिल्ली में पानी की किल्लत
नई दिल्ली
दिल्ली में इस साल अब तक कुल 700 से ज्यादा अवैध बोरवेल सील किए जा चुके हैं. इससे राजधानी के कई इलाकों में लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. इन अवैध बोरवेल की सीलिंग जनवरी में आए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश के चलते हुई है.
एसडीएम के मुताबिक अब तक कुल 718 बोरवेल सील किए जा चुके हैं. दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक, 'राजधानी में लगभग 5,000 अवैध बोरवेल मौजूद हैं. जिन इलाकों में बोरवेल सील हुए हैं, उनमें द्वारका, विकासपुरी और जनकपुरी शामिल हैं. इस कदम से इन क्षेत्रों में दिल्ली जल बोर्ड के पानी के टैंकर भेजने के बावजूद पानी की बड़ी किल्लत हुई है.
वर्तमान में दिल्ली सरकार की पानी को लेकर बनाई गई नीति के मुताबिक हर घर को महीने में 20,000 लीटर मुफ्त पानी का वादा है. 30 जनवरी को एनजीटी ने दिल्ली सरकार को तीन महीने के भीतर राजधानी में मौजूद सभी अवैध बोरवेल को सील करने का आदेश दिया था.
एनजीटी के आदेश के बारे में बताते हुए डिविजनल कमिश्नर मनीषा सक्सेना ने कहा कि सीलिंग की शुरुआत उत्तर पश्चिमी जिले से की गई जहां पानी में क्लोराइड की मात्रा सबसे अधिक थी. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि जल बोर्ड ने उन बोरवेल पर लाल निशान लगाए जिनमें क्लोराइड की मात्रा बहुत अधिक है.
इससे प्रशासन को सील किए जाने वाले बोरवेल की पहचान करने में कोई परेशानी नहीं होगी. सक्सेना के मुताबिक, यह काम उनके लिए मुश्किल था क्योंकि जब उन्होंने बोरवेल की सीलिंग की शुरुआत की तब गर्मी का सीजन शुरू हो चुका था और जल बोर्ड को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा था.
द्वारका इलाके के निवासियों के मुताबिक उनकी पानी की जरूरत पूरी न होने के कारण लोगों को पाने के लिए अवैध तरीके अपनाने पड़ रहे हैं. फेडरेशन ऑफ कोआपरेटिव ग्रुप हाउसिंग सोसाइटीज की महासचिव सुधा सिन्हा ने कहा कि वे सीलिंग के विरोध में नहीं हैं. लेकिन अगर सीलिंग की जाती है तो पानी की मांग को भी पूरा किए जाने का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए.
दिल्ली जल बोर्ड के वाइस चेयरमैन दिनेश मोहनिया ने कहा कि जिन इलाकों में सीलिंग हुई है, वहां बोर्ड पानी के टैंकर भेज रहा है और उन इलाकों में पानी की मांग पूरी करने का पूरा ध्यान रखा जा रहा है. उनके मुताबिक बोर्ड पानी की कमी को लेकर आयी शिकायत को लेकर उचित कार्रवाई करेगा.