अंतर्राष्ट्रीय वन मेले में लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र का कारनामा
बिना बिलिंग के 20 से 25 किलो च्यवनप्राश बेंचवा भी दिया
लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र बरखेड़ा पठानी के अफसरों की लापरवाही
भोपाल, राजधानी भोपाल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वन मेले का समापन 26 दिसंबर को हो गया। इस मेले में 300 से ज्यादा दुकानों से लोगों ने करोड़ों रुपए की आयुर्वेदिक औषधियां और उत्पाद खरीदा। लेकिन इसी मेले में लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र (एमएफपी) बरखेड़ा पठानी ने बिना लाइसेंस के च्यवनप्राश का ट्रायल हजारों लोगों पर कर डाला। यही नहीं अफसरों ने बिना बिलिंग के 20 से 25 किलो च्यवनप्राश बेंचवा भी दिया।
गौरतलब है की लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र बरखेड़ा पठानी विंध्य हर्बल के नाम से उत्पाद बनाता है। केंद्र इनदिनों महुआ से च्यवनप्राश बनाने का प्रयोग कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय वन मेले को देखते हुए लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र के सीईओ और एसडीओ बीएस पिल्लई के दिशा-निर्देश पर महुआ का च्यवनप्राश बनाया गया और उसे बिना जांच-पड़ताल के बाजार में उतार दिया।
बिना लाइसेंस उपयोग
अंतर्राष्ट्रीय वन मेले दुकान नंबर एक विंध्य हर्बल की थी। इस दुकान पर लोगों की टेस्टिंग और बिक्री के लिए लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र बरखेड़ा पठानी ने महुआ से बने च्यवनप्राश को रखा था। इस स्टॉल पर आने वाले हर व्यक्ति को इसे खाने के लिए दिया जाता था। आयुर्वेद को जानने वाले लोगों ने इसे खतरनाक बताया है। उनका कहना है कि बिना टेस्टिंग और बिना लाइसेंस के किसी भी आयुर्वेदिक उत्पाद का उपयोग ठीक नहीं है।
इनका कहना है
लोगों की डिमांड पर मेले में इसे उतारा गया था। हमने केवल लोगों को इसकी टेस्टिंग कराई है। इसमें कोई खतरे वाली बात नहीं है। इसके लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं है। अब हम लाइसेंस के लिए आवेदन करेंगे।
दिलीप कुमार, सीईओ, एमएफपी बरखेड़ा पठानी
इसको बेचने के लिए नहीं बल्कि लोगों को टेस्ट कराने के लिए महुआ के च्यवनप्राश को रखा गया था। इसकी शिकायत मिलते ही स्टॉल से उस च्यवनप्राश को हटवा दिया गया था।
बीएस पिल्लई, एसडीओ, एमएफपी बरखेड़ा पठानी