राज्यपाल पर छेड़खानी का आरोप, महिला ने थाने में की शिकायत
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस के खिलाफ एक महिला ने छेड़छाड़ का आरोप लगया है। शिकायतकर्ता महिला राजभवन में संविदाकर्मी है, जो राजभवन में काम करती है। राज्यपाल ने इसे उन्हें बदनाम कर चुनाव में फायदा उठाने की साजिश करार दिया है। राजभवन की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया-‘राजभवन के कर्मचारी राज्यपाल के विरुद्ध राजनीतिक दलों के एजेंट के तौर पर दो असंतुष्ट कर्मचारियों द्वारा गढ़े गए मनगढ़ंत आरोपों के विरुद्ध एकजुट हैं। राज्यपाल ने इस पर कहा है- सत्य की जीत होगी। मैं मनगढ़ंत आरोपों से डरूंगा नहीं। अगर कोई मुझे बदनाम करके किसी तरह का चुनावी फायदा उठाना चाहता है तो भगवान उसका भला करे, लेकिन वे बंगाल में भ्रष्टाचार और हिंसा के खिलाफ मेरी लड़ाई जारी रहेगी।’
अभी बहुत कुछ होने वाला है: राज्यपाल
शुक्रवार को राजभवन ने राज्यपाल का एक रिकॉर्ड बयान जारी किया। इसमें तृणमूल कांग्रेस पर निशाना साधते हुए राज्यपाल ने कहा कि कोई भी भ्रष्टाचार और हिंसा पर लगाम लगाने के मेरे प्रयासों को रोक नहीं सकता। बयान में उन्होंने आगे कहा कि मैं कुछ राजनीतिक ताकतों द्वारा लगाए गए आरोपों का स्वागत करता हूं। मैं जानता हूं कि अभी और भी बहुत कुछ होने वाला है। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि कोई मुझे इन बेतुके आरोपों से नहीं रोक सकता है। राज्यपाल ने कहा कि ऐसा लगता है कि मुझे एक दिन 1943 की बंगाल फेमिन और 1946 में कलकत्ता में हुई हत्याओं के लिए भी दोषी ठहराया जाएगा।
क्या है मामला
पीड़ित महिला ने गुरुवार शाम हेयर स्ट्रीट थाने में लिखित शिकायत की। महिला ने दावा किया कि राज्यपाल ने उसके साथ दो—दो बार छेड़खानी की है। उसने कहा कि पहली बार 24 अप्रैल को फिर गुरुवार शाम को। महिला का आरोप है कि राज्यपाल ने उसे बायोडाटा के साथ राजभवन स्थित अपने चेंबर में बुलाया था, जहां उन्होंने छेड़खानी की। उसने पहले राजभवन में स्थित आउटपोस्ट में तैनात पुलिसकर्मियों से इसकी शिकायत की। वहां से उसे थाने में जाने को कहा गया। पुलिस की ओर से महिला का परिचय गोपनीय रखा गया है। पता चला है कि महिला 2019 से राजभवन में अस्थायी रूप से कार्यरत है। वह राजभवन परिसर में स्थित हॉस्टल में रहती है।
टीएमसी ने की जांच की मांग
टीएमसी के वरिष्ठ नेता और उद्योग मंत्री शशि पांजा ने मामले में शुक्रवार को कहा कि आरोपों के पीछे पार्टी का कोई एजेंडा और कोई भूमिका नहीं है। घटना चौंकाने वाली है। इस पर विश्वास करना मुश्किल है कि यह राजभवन के अंदर यह सब हुआ। किसी भी राज्यपाल के खिलाफ इससे पहले ऐसे आरोप नहीं लगे हैं। इससे राज्यपाल पद की प्रतिष्ठा कम हुई है। हम निष्पक्ष जांच की मांग करते हैं। बता दें, संविधान की धारा 361 के तहत, किसी भी राज्यपाल के खिलाफ उसके कार्यकाल के दौरान कोई आपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती है।