महान तबला वादक जाकिर हुसैन का अमेरिका में निधन
नई दिल्ली, महान तबला वादक जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को निधन हो गया है। उनके निधन की जानकारी उनके परिवार ने दी। जाकिर हुसैन कई दिनों से बीमार चल रहे थे। उनकी मौत अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में हुई, जहां उनका चल रहा था। उन्हें आईसीयू में रखा गया था।
विरासत में मिली थी तबला वादन की कला
तबला बजाने की कला जाकिर हुसैन को विरासत में मिली थी। बचपन से ही वे अच्छा तबला बजाने लगे थे। जानकारों का कहना है कि जाकिर हुसैन 12 साल की उम्र में अपने पिता के साथ एक कार्यक्रम में गए थे। उस कार्यक्रम में पंडित रविशंकर और बिस्मिल्लाह खान समेत कई और संगीत के हस्तयां मौजूद थी। उस कार्यक्रम में जाकिर हुसैन की कला से लोग काफी प्रभावित हुए और उनको ईनाम में 5 रुपए मिले थे। एक साखात्कार में जाकिर हुसैन ने कहा था कि उनकी जिंदगी में वो 5 रुपये सबसे ज्यादा कीमती थे।
37 साल की उम्र में मिला था पद्मश्री
जाकिर हुसैन को केवल 37 साल की उम्र में 1988 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उसके बाद 2002 में संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म भूषण का पुरस्कार दिया गया। 22 मार्च 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। जाकिर हुसैन को 1992 और 2009 में संगीत का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार ग्रैमी अवार्ड दिया गया था।
कब मिला, कौन सम्मान
1988 में पद्मश्री
2002 में पद्म भूषण
2023 में पद्म विभूषण
1992 में ग्रैमी अवार्ड
2009 में ग्रैमी अवार्ड
पिता से मिली थी तबला बजाने की प्रेरणा
जाकिर हुसैन को तबला बजाने की प्रेरणा उनके पिता से मिली थी। उनके पिता अल्लाह रक्खा भी बहुत बड़े तबला वादक थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में ही हुई थी। 12 साल की उम्र से जाकिर हुसैन ने अपनी कला से लोगों के मन को मोहना शुरू कर दिया था। लोगों को यकीन नहीं होता था कि इतनी छोटी उम्र का बच्चा इतना बेहतरीन धुन बजा सकता है।