कोदो की खेती की ओर कृषकों का बढ़ता रुझान

रायपुर, छत्तीसगढ़ में धान की खेती के साथ-साथ अब कृषकों का रुझान लाभकारी एवं पोषक फसलों की ओर बढ़ता जा रहा है। विशेषकर वनांचल क्षेत्र के ग्रामों में कोदो की खेती को अपनाने वाले कृषकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। कम लागत एवं कम श्रम में अधिक लाभ के साथ-साथ स्वास्थ्यवर्धक गुणों से भरपूर कोदो फसल की मांग को देखते हुए इसके रकबे में निरंतर वृद्धि हो रही है। बालोद जिले के गुरूर विकासखण्ड के ग्राम बड़भूम, पेटेचुवा, दुग्गा बाहरा, कर्रेझर सहित अनेक गांवों में कृषकों द्वारा इस साल बडे़ पैमाने पर कोदो की खेती की जा रही है।
गुरूर विकासखण्ड के वनग्राम दुग्गा बाहरा के कृषक धनीराम ने खरीफ वर्ष 2025-26 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (रफ्तार) के अंतर्गत प्राप्त सहयोग से 3 एकड़ भूमि में कोदो की खेती की है। पूर्व में धनीराम केवल धान की खेती करते थे, किंतु कृषि विभाग द्वारा कोदो की खेती के प्रति जागरूकता के प्रयासों के चलते उन्होंने इस लाभकारी फसल की खेती को अपनाया है।
कोदो की खेती को प्रोत्साहित करने हेतु राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत धान के स्थान पर वैकल्पिक फसल अपनाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 11,000 रूपए का अनुदान भी प्रदान किया जा रहा है। इस योजना से कृषकों को आर्थिक संबल प्राप्त हो रहा है तथा वे कम लागत में अधिक मुनाफा अर्जित कर रहे हैं।
कोदो एक अत्यंत उपयोगी एवं पौष्टिक फसल है, जिसमें फाइबर, प्रोटीन, आवश्यक विटामिन एवं खनिज भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। यह मधुमेह, मोटापा एवं हृदय रोग की रोकथाम में भी सहायक सिद्ध हो रही है। इसकी खेती में रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशकों की आवश्यकता भी अपेक्षाकृत कम होती है। उच्चहन भूमि में कोदो की खेती कर किसान अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
कृषि विभाग द्वारा कृषकों को कोदो की खेती हेतु तकनीकी मार्गदर्शन एवं आवश्यक सहयोग लगातार उपलब्ध कराया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों द्वारा गांव-गांव जाकर किसानों को कोदो की उपयोगिता एवं इसके लाभों की जानकारी दी जा रही है, जिससे इस फसल की खेती प्रति कृषकों का रूझान बढ़ा है।