जमीनों की धोखाधड़ी से मिलेगी निजात, हर जमीन का होगा पहचान का कोड

जमीनों की धोखाधड़ी से मिलेगी निजात, हर जमीन का होगा पहचान का कोड

ग्वालियर। जिस तरह आम आदमी पहचान आधार कार्ड के अंकों से होती है उसी तरह अब जल्द हर जमीन का भी आल पिन होगा। यह एक तरह से जमीन की पहचान का कोड होगा। जमीन का पूरा रिकार्ड बताने के साथ साथ यह बदला नहीं जा सकेगा। इस तरह जमीनों की धोखाधड़ी करने वालों को सबसे बड़ा झटका लगेगा। लैंड रिकार्ड और राजस्व तत्काल इस आल पिन के माध्यम से जमीन की पूरी कुंडली निकाल सकेंगें। लैंड रिकार्ड की ओर से चल रहे गांवों में चल रहे जमीनों का स्वामित्व सर्वे पूरा होते ही आटो मोड में यह जनरेट हो जाएंगें। शहर और गांव दोनों की जमीन के लिए यह आल पिन जनरेट होंगें।

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स्वामित्व सर्वे पूरा होते ही हर जमीन का आटोमेटिक आल पिन जनरेट हो जाएगा

यहां यह बता दें कि हाल ही में भारत सरकार के संयुक्त सचिव सोनमणि बोरा ग्वालियर तीन दिन के प्रवास पर आए थे। इस दौरान उन्होने भूमि सुधार व आधुनिकीकरण को लेकर आफिस से लेकर मैदान तक पूरी व्यवस्थाएं देखीं थीं। यहां ग्वालियर में चल रहीं विभिन्न सेवाओं का जायजा लिया था जिसे बेहतर बताया था। इसी दौरान ग्रामीण क्षेत्र में जाकर ड्रोन सर्वे जो स्वामित्व सर्वे के तहत किया जा रहा है, इसे देखा था। यहीं उनकी टीम के जरिए अधिकारियों को बताया गया कि स्वामित्व सर्वे पूरा होते ही हर जमीन का आटोमेटिक आल पिन जनरेट हो जाएगा जिससे हर जमीन की अलग नंबरों के जरिए पहचान होगी।

जमीनों की धोखाधड़ी सबसे बड़ी समस्या, मिलेगी मुक्ति
जमीनों की धोखाधड़ी सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। इसपर रोक लगाने के लिए यह जमीनों की आल पिन की व्यवस्था कारगर साबित होगी। ग्वालियर चंबल संभाग ही नहीं पूरे प्रदेश में जमीनों की धोखाधड़ी राजस्व से लेकर पुलिस के लिए सिरदर्द बनी रहती है। ग्वालियर चंबल संभाग में सबसे ज्यादा मामले जमीनों की धोखाधड़ी के ही सामने आते हैं। जनसुनवाई हो या सीएम हेल्पलाइन राजस्व के ऐसे प्रकरणों की भरमार रहती है।

हर जमीन का अलग अलग आल पिन
एक व्यक्ति के पास अगर अलग अलग जगह जमीनें हैं तो भी उसे हर जमीन का अलग अलग आल पिन मिलेगा। मालिक एक ही रहेगा और अगर एक जमीन का बड़ा हिस्सा है और कई भाई या पार्टनर हैं तो सबके पास अपने अपने स्वामित्व की जमीन का अलग कोड ही होगा।

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रिकार्ड रूम  में साल में एक बार माल ड्रिल कराई जाएगी
-लैंड रिकार्ड का जो रिकार्ड रूम है उसमें साल में एक बार माल ड्रिल कराई जाएगी जिससे आपात स्थिति में व्यवस्थाओं को चेक किया जा सके।
-लैंड की पूरी जानकारी वाली जो हार्ड डिस्क है उसे एक बार साल में चलाकर देखा जाएगा और चेक किया जाएगा कि कहीं जमीनों का डाटा लीक या कहीं भेजा तो नहीं जा रहा है।
-जमीनों के डिजिटल नक्शे के साथ साथ जो मैन्युअल नक्शे रखे हैं उसका रखरखाव ठीक से किया जाए और समय समय पर इसे चेक भी किया जाए। इसके साथ ही जो बस्ते रखे गए हैं उनकी भी जांच की जाएगी।

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गांवो में वर्तमान में स्वामित्व सर्वे चल रहा है और यह पूरा होते ही जमीनों का आल पिन कोड जनरेट हो जाएगा। आटोमोड में यह प्रक्रिया होगी। इससे जमीनों की बार बार बिक्री व धोखाधड़ी के मामलों पर रोक लग सकेगी। वहीं रिकार्ड रूम में साल में एक बार माक ड्रिल भी होगी।
शिवानी पांडेय, प्रभारी अधीक्षक,भू-अभिलेख, ग्वालियर

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