चीन और पाकिस्तान रावलपिंडी की सीक्रेट लैब में तैयार कर रहे हैं कोरोना से भी खतरनाक वायरस

दुनिया अभी कोरोना वायरस के संकट से उबरी भी नहीं है और एक खबर ने दुनिया की नींद उड़ा दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार चीन और पाकिस्तान मिलकर रावलपिंडी के एक रिसर्च लैब में कोरोना से भी घातक वायरस तैयार कर रहे हैं। कोरोना वायरस 2019 में चीन के वुहान से ही दुनिया भर में फैला था। 'एक कहावत है चोर चोर मौसेरे भाई'। चीन और पाकिस्तान दोनों देशों की दोस्ती पर भी यही बात लागू होती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत के खिलाफ षडयंत्र रचने वाले ये दोनों देश रावलपिंडी की सीक्रेट लैब में कोरोना से भी खतरनाक वायरस तैयार करने में जुटे हुए हैं।
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चीन के वुहान से ही दुनियाभर में फैली थी कोरोना महामारी
दुनिया अभी कोरोना संकट से पूरी तरह उबर भी नहीं पाई है कि एक और खबर ने दुनिया की नींद उड़ा दी है। दुनिया को कोरेना देने वाला चीन अब पाकिस्तान के साथ मिलकर रावलपिंडी की रिसर्च लैब में कोरोना से भी खतरनाक वायरस तैयार करने में के मंसूबे में जुटा हुआ है। बता दें कि दुनिया में आई कोरोना महामारी 2019 में चीन के वुहान से ही दुनियाभर में फैली थी।
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लोकेशन को कड़ाई से छिपाकर रखा गया
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार घातक वायरस को बनाने के लिए चीन की कुख्यात वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और पाकिस्तानी सेना के डिफेंस साइंस एंड टेक्नोलॉजी ऑर्गेनाइजेशन यानी DESTO ने एक बहुत ही एडवांस साइंटिफिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है। कई ग्लोबल रिपोट्स बता रही हैं कि चीन पाकिस्तान के रावलपिंडी स्थिति रिसर्च सेंटर में वायरस के रूप में घातक वायरस के रूप में 'बायोवीपन' तैयार कर रहे हैं। दुनिया को पता न चले इसलिए इस लोकेशन को कड़ाई से छिपाकर रखा गया है। कई ग्लोबल रिपोर्ट्स के मुताबिक ये ऐसे खतरनाक वायरस होंगे जो कोरोना से ज्यादा बड़े पैामने पर बीमारी पैदा करने की क्षमता रखते हैं।
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चीन-पाक की सीक्रेट डील का दावा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कोरोना वायरस दुनिया में फैलने के कुछ महीनों बाद ही अप्रैल-जुलाई 2020 के दौरान ऑस्ट्रेलिया के खोजी पत्रकार एंथोनी क्लैन के एक दावे ने दुनिया को हिलाकर रख दिया था। क्लैन ने कहा था कि चीन के वुहान की लैब और पाकिस्तान की डिफेंस साइंस एंड टेक्नोलॉजी यानी DESTO ने तीन साल के लिए एक एग्रीमेंट किया है। क्लैन ने कहा था कि इस सीक्रेट डील का मकसद बायो वेपंस बनाना है। क्लैन ने दावा किया था पाकिस्तान में एक गुप्त लैब है, जो घातक वायरस से संबंधित कई रिसर्च प्रोजेक्ट्स चलाता है। इस लैब में घातक वायरस बनाए जाते हैं। जिनका उपयोग घातक 'बायो वीपन' के बतौर किया जाता है।
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पाकिस्तान ने घातक वायरस की टेस्टिंग के आरोपों से इनकार किया था
क्लैन के मुताबिक, चीन की एक चाल यह भी है कि पाकिस्तान में बनाने से कुछ भी गलत होने पर चीन आसानी से इससे पल्ला झाड़ पाएगा। हालांकि दुनियाभर में झूठ बोलने वाले पाकिस्तान ने 2020 में उसके यहां घातक वायरस की टेस्टिंग के आरोपों से इनकार किया था। पाक FO ने कहा था, 'इस लैब के बारे में बायोलॉजिकल एंड टॉक्सिन वेपंस कंवेशन यानी BTWC यानी बायोलॉजिकल वीपंस कन्वेंशन से जानकारी साझा करता रहा है।' BTWC 1975 में लागू हुआ था।
खुफिया और साइंटिफिक कम्यूनिटी से जुड़े लोगों ने दी चेतावनी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मामले की जानकारी रखने वाले खुफिया और साइंटिफिक कम्यूनिटी से जुड़े लोगों ने चेतावनी दी है कि चीन और पाकिस्तान लैब में जो वायरस डेवलेप कर रहे हैं, वे कोरोना से भी सैकड़ों गुना ज्यादा घातक हैं।
इंसानों, जानवरों और पौधों की मौत के लिए जानबूझकर छोड़ा जाता है बायोलॉजिकल वेपंस
बायोलॉजिकल और जहरीले हथियार वायरस, बैक्टीरिया या फंगस जैसे सूक्ष्मजीव होते हैं, जिन्हें बनाया जाता है और इंसानों, जानवरों और पौधों की मौत के लिए जानबूझकर छोड़ा जाता है
बायोवेपन या जैविक हथियारों के रूप में बायोलॉजिकल एजेंट्स,जैसे-बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और अन्य सूक्ष्मजीवों और उनसे जुड़े विषैले पदार्थों का इस्तेमाल होता है।
एंथ्रेक्स, बूटोलिनम टॉक्सिन और प्लेग फैलाने वाले बायोलॉजिकल एजेंट्स लोगों की सेहत के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं और कुछ ही समय में कइयों की जान ले सकते हैं।
दूसरी बार फैलने में सक्षम बायोलॉजिल एजेंट्स महामारी का कारण बन सकते हैं।
किसी बायोलॉजिकल एजेंट के साथ किया गया हमला प्राकृतिक घटना जैसा लगता है, जिससे उसका आकलन और उससे निपटना मुश्किल हो जाता है।
युद्ध और संघर्ष की स्थिति में लैब में तैयार बेहद खतरनाक वायरस और बैक्टीरिया जैसे बॉयोलॉजिकल एजेंट्स का इस्तेमाल लोगों के लिए घातक हो सकता है।
बायोलॉजिकल वेपंस में कई और घातक हथियारों के मिलने पर उन्हें सामूहिक विनाश के हथियार भी कहा जाता है।
सामूहिक विनाश के हथियार में केमिकल, न्यूक्लियर और रेडियोलॉजिकल वेपंस भी शामिल होते हैं।
बायोलॉजिकल हथियारों का इस्तेमाल एक गंभीर चिंता का विषय है और युद्ध में किसी देश के और आतंकी हमलों में इनके इस्तेमाल का खतरा बढ़ रहा है।
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