गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण को योगी कैबिनेट की मंजूरी
लखनऊ, राज्य में सड़क के बुनियादी ढांचे को और मजबूत करते हुए, उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को गंगा एक्सप्रेसवे की 36230 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना के निर्माण की प्रक्रिया को हरी झंडी दे दी, जो देश में सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में यहां हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस संबंध में मंजूरी दी गई।
राज्य मंत्रिमंडल ने परियोजना के चार पैकेजों के प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) और अनुरोध के लिए कोटेशन (आरएफक्यू) को मंजूरी दी, जो एक्सप्रेसवे के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेगा। इस बीच, उत्तर प्रदेश के सीएम ने यूपी एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण सहित सभी संबंधित विभागों को मेरठ और प्रयागराज के बीच मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा जिलों को कवर करते हुए इस छह-लेन 594 किलोमीटर एक्सप्रेसवे परियोजना को निष्पादित करने के लिए मिशन मोड में काम करने का निर्देश दिया। गंगा नदी के किनारे संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज। एक और मेगा प्रोजेक्ट जोड़ने जा रहा है।
राज्य सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि गंगा एक्सप्रेस-वे को 26 नवंबर, 2020 को मंजूरी दी गई थी। इसके पूरा होने से उत्तर प्रदेश की आर्थिक गतिविधियां कई गुना बढ़ जाएंगी। इस परियोजना के लिए सिविल कार्य के लिए 19754 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जबकि 9255 करोड़ रुपये भूमि की खरीद के लिए निर्धारित किया गया है। 920 प्रतिशत से अधिक भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है। "गंगा एक्सप्रेसवे छह लेन का होगा और भविष्य में इसे आठ लेन तक बढ़ाया जा सकता है। पीपीपी मॉडल पर बनने वाले इस प्रोजेक्ट में 30 साल के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। वाहनों की गति 120 किमी प्रति घंटे तय की गई है। वहां इसके साथ एक हवाई पट्टी और औद्योगिक क्लस्टर भी होंगे, जबकि नौ स्थानों पर सार्वजनिक उपयोगिताओं की स्थापना की जाएगी।
गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में चार ग्रुपों में एक्सप्रेसवे के विकासकर्ताओं के चयन के लिए प्रत्येक ग्रुप के लिए टेंडर दस्तावेजों (आरएफपी/रिक्वेस्ट फार प्रपोजल व आरएफक्यू/रिक्वेस्ट फार क्वालिफिकेशन) पर मुहर लगी। कैबिनेट बैठक के बाद इस फैसले की जानकारी एमएसएमई मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि परियोजना के चार ग्रुपों के लिए अलग-अलग आरएफक्यू-कम-आरएफपी जारी कर उनके सापेक्ष कन्सेशनायर्स (विकासकर्ताओं) का चयन किया जाएगा। इसके लिए 30 वर्ष का कंसेशनायर एग्रीमेंट किया जाएगा। बिडिंग प्रक्रिया 60 दिन में पूरी कर ली जाएगी।
गंगा एक्सप्रेसवे की विशेषताएं
कैबिनेट ने गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना की तकनीकी व अन्य संरचनाओं को भी मंजूरी दी है। यह एक्सप्रेसवे छह लेन चौड़ा होगा, जिसे आठ लेन में तब्दील किया जा सकता है। इस पर आठ लेन की चौड़ाई में संरचनाओं का निर्माण होगा। एक्सप्रेसवे के राइट आफ वे की चौड़ाई 130 मीटर प्रस्तावित है। एक्सप्रेसवे के एक ओर 3.75 मीटर चौड़ी सर्विस रोड बनायी जाएगी, जिससे आसपास के गांवों के निवासियों को सुगम आवागमन की सुविधा मिल सके। विमानों की लैंडिंग व उड़ान भरने के लिए एक्सप्रेसवे पर शाहजहांपुर के समीप हवाई पट्टी भी बनायी जाएगी। एक्सप्रेसवे पर 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से वाहन चल सकेंगे। इस पर विभिन्न स्थानों पर नौ जनसुविधा परिसर विकसित किये जाएंगे। मेरठ और प्रयागराज में एक-एक मुख्य टोल प्लाजा होंगे, जबकि रैंप टोल प्लाजा की संख्या 15 होगी। एक्सप्रेसवे पर गंगा नदी पर 960 मीटर और रामगंगा नदी पर 720 मीटर लंबे दो बड़े सेतु होंगे।
बिजौली गांव के पास से शुरू होगा 12 जिलों से गुजरेगा एक्सप्रेसवे
गंगा एक्सप्रेसवे प्रदेश के जिन 12 जिलों से गुजरेगा, उनमें मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज शामिल हैं। यह मेरठ में मेरठ-बुलंदशहर मार्ग (एनएच-334) पर बिजौली गांव के पास से शुरू होगा और प्रयागराज में एनएच-19 (बाईपास) पर जूडापुर दांदू गांव के पास खत्म होगा।
परियोजना से फायदे
परियोजना से जुड़े 12 जिलों के लिए प्रदेश की राजधानी तथा पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेसवे के माध्यम से देश की राजधानी तक त्वरित गति की सुगम यातायात की सुविधा उपलब्ध होगी। एक्सप्रेसवे वाहनों के ईंधन की बचत के साथ प्रदूषण नियंत्रण में भी सहायक होगा। एक्सप्रेसवे के आसपास के क्षेत्रों के सामाजिक व आर्थिक विकास के साथ कृषि, वाणिज्य, पर्यटन तथा उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। यह एक्सप्रेसवे अगल-बगल के क्षेत्रों में विभिन्न उत्पादक इकाइयों तथा कृषि उत्पादन क्षेत्रों को प्रदेश व राष्ट्रीय राजधानी से जोडऩे के लिए औद्योगिक कारिडोर के रूप में सहायक होगा। हैंडलूम उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, कोल्ड स्टोरेज, भंडारण गृह, मंडियों और दुग्ध आधारित उद्योगों आदि की स्थापना के लिए उत्प्रेरक के रूप में सहायक होगा। इसके पास इंडस्ट्रियल ट्रेङ्क्षनग इंस्टीट््यूट, शिक्षण व मेडिकल संस्थान आदि की स्थापना के अवसर भी उपलब्ध होंगे। परियोजना के निर्माण और उसके समीप शिक्षण संस्थाओं, कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना से 20 हजार लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।
ललितपुर में हवाई अड्डा निर्माण को भी मंजूरी
राज्य मंत्रिमंडल ने ललितपुर में एक बड़े हवाई अड्डे के निर्माण को भी मंजूरी दी। ललितपुर में बल्क ड्रग पार्क और बुंदेलखंड में डिफेंस कॉरिडोर के निर्माण को देखते हुए यह मंजूरी मिली है। पहले चरण में यहां छोटे विमानों को उतारा जाएगा। भविष्य में इसे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में विकसित किया जाएगा।
- एयरपोर्ट प्रोजेक्ट की लागत 86.65 करोड़ रुपये है।
-हवाई अड्डे के लिए आवश्यक कुल 91.77 हेक्टेयर भूमि की लागत 7786 करोड़ रुपये है।
- इसके निर्माण के लिए एक्सचेंज में रक्षा मंत्रालय से 12.79 हेक्टेयर जमीन भी ली जा रही है। बाद में ग्राम समाज की जमीन से जमीन रक्षा मंत्रालय को दी जाएगी।