विधानसभा क्षेत्र पवई: बाहरी बनाम स्थानीय का मुददा हाबी

विधानसभा क्षेत्र पवई: बाहरी बनाम स्थानीय का मुददा हाबी
कुल मतदाता- 2,52,110 पोलिंग बूथ- 327 nadeem khan पन्ना। जिले की पवई विधानसभा सीट क्रमांक 58 प्रदेश भर में चर्चा का केन्द्र रहती है। प्रदेश की सबसे बडी विधानसभा सीटों में शुमार पवई में इस बार भी कांटे का मुकाबला देखने को मिल सकता है। पिछले चुनाव में यहां भाजपा और कांग्रेस ने अपने कद्दावर नेताओं को उतारा था। भाजपा सरकार में मंत्री रहे बृजेन्द्र प्रताप सिंह के मुकाबले कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री मुकेश नायक ने प्रतीष्ठापूर्ण चुनाव में जीत दर्ज की थी। [caption id="attachment_6" align="aligncenter" width="353"] bhavtarini[/caption] इस बार भी भाजपा की ओर से टिकट के बडे दावेदार बृजेन्द्र प्रताप सिंह ही हैं, वहीं मुकेश नायक अपनी सीट को बचाने के लिये पुनः कोशिश करेंगें बीते पांच सालों में विधानसभा क्षेत्र में विकास की रफ्तार धीमी पड़ी है। बताया जाता है कि विपक्षी पार्टी का विधायक होने के कारण क्षेत्र के लोगों को विकास में पिछडना पड़ा। वहीं विधायक मुकेश नायक भी पांच साल विवादों से घिरे रहे। मुकेश नायक क्षेत्र में सक्रिय रहे, लेकिन विवादों से लगातार नाता रहा। जिससे उनकी छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। वहीं बृजेन्द्र प्रताप सिंह के विधायक नहीं रहने से क्षेत्र के विकास में आई रूकावट को लेकर भी यहां लोगों में चर्चाएं है। गौरतलब है कि बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान पवई क्षेत्र में खासे विकास कार्य किये है। पर्यटन मंत्री के अपने अल्प कार्यकाल के दौरान क्षेत्र के लोगों को कई सौगातें मिली थीं। लेकिन चुनावी द्वंद में उन्हें हार का सामना करना पड। वर्ष 2008 में भी पवई विधानसभा में बृजेन्द्र प्रताप सिंह और मुकेश नायक के बीच ही मुकाबला हुआ था, उस समय नायक उमा भारती की जनशक्ति पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव में उतरे थे। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2013 में कांग्रेस के वापसी के साथ उन्होंने जीत दर्ज की। विधानसभा का जातिय समीकरण क्षेत्र में ब्राम्हण और क्षत्रिय जाति के वोटरों का खासा प्रभाव है। इसके अलावा यहां लोधी और दलित वोटर निर्णायक भूमिका में रहते हैं। क्षेत्र में आदिवासी वोटरों की भी बड़ी भागेदारी है। पिछले चुनाव में आदिवासी बहुल्स क्षेत्र में कांग्रेस ने बेहतर प्रर्दशन किया था, जिससे कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा जताया। पिछले चुनाव में मिले वोट     प्रत्याशी पार्टी वर्ष वोट बृजेन्द्र प्रताप सिंह भाजपा 2008 40205 मुकेश नायक भाजश 2008 39115 बृजेन्द्र प्रताप सिंह भाजपा 2013 67254 मुकेश नायक कांग्रेस 2013 78959 विधानसभा के क्षेत्र के मुद्दे पवई विधानसभा क्षेत्र में कई चुनावी मुद्दे हैं। यहां आदिवासी बहुल्य क्षेत्र कल्दा पठार का अति पिछडा क्षेत्र भी हैं, जहां मूलभूत सुविधाओं की दरकार है। वहीं कटनी और दमोह सीमा से लगे क्षेत्र में कृषि विकास की ढेरों संभावनाएं है। औद्योगिक क्षेत्र में भी यहां विकास की सभावनाएं है। जो पवई क्षेत्र के चुनावी मुद्दे हो सकते हैं। संभावित प्रत्याशी भाजपा- बृजेन्द्र प्रताप सिंह, पुष्पेन्द्र लटौरिया, उमेश सोनी कांग्रेस- मुकेश नायक, भुंवर विक्रम सिंह, राजा पटैरिया क्षेत्रिय अस्मियता की लड़ाई पवई विधानसभा का इतिहास रहा है कि यहां से अब तक जीते सभी उम्मीदवार विधानसभा क्षेत्र के बाहर से आते हैं। इस बार क्षेत्रिय नेतृत्व की मांग को लेकर पूरे क्षेत्र में आंदोलन हो रहे हैं। क्षेत्रिय संषर्घ समिति के तत्वाधान में कांग्रेस और भाजपा के कई नेता इस मुहीम में शिमल है। जो वर्तमान प्रत्याशियों के लिये बडी मुसीबत का सबब है। टिकट के दावेदार अधिकांश नेता बाहर से आते हैं, ऐसे में स्थानीय प्रत्याशी मांग यदि जोर पकडती है, तो दोनों ही दलों के लिये मुसीबत खडी हो सकती है। पिछले चुनाव में भी स्थानीय मुद्दा उठाया गया था, लेकिन कोई परिणाम सामने नहीं आये, लेकिन विगत पांच वर्षों से लगातार सक्रिया क्षेत्रीय आंदोलन का प्रभाव इस चुनाव में नजर आ सकता है। चुनावी वादे विधानसभा क्षेत्र में विकास के वादे दोनों ही दलों ने किये थे। कांग्रेस नेता मुकेश नायक ने भी क्षेत्र के विकास का दावा किया, लेकिन विधायक बनने के बाद विपक्ष की भूमिका के चलते वे अधिकांश वादों को नहीं निभा सके। नायक की मानें तो उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिये विधानसभा में संघर्ष किया और क्षेत्र के कई स्कूलों का उन्नयन कराया, इसके अलावा क्षेत्र में कई विकास कार्यों को स्वीकृत कराने में भी सफलता पाई है।