इंदौर,देवास रतलाम सहित प्रदेश के कई जिेलों मे झूठे शपथ पत्र देकर अपने आप को पाक साफ बताया
brijesh parmar
उज्जैन। डिफाल्टर विडियोग्राफी देवास की फर्म टीना विडियो विजन ने निर्वाचन आयोग से भी धोखाधडी करने में गुरेज नहीं किया है।हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में जिलों के निर्वाचन अधिकारियों की आंखो में धूल झोंककर झूठे शपथ पत्र के आधार पर डिफाल्टर फर्म ने इंदौर,देवास,रतलाम सहित प्रदेश के कुछ जिलों की निविदा में भाग लेकर काम हथियाया।जिलों में इस झूठ की जानकारी होने के बावजूद फर्म के खिलाफ कार्रवाई न होना निर्वाचन आयोग पर सवाल खडे कर रहा है।

विधानसभा चुनाव 2018 में निर्वाचन आयोग के निर्देश तहत जिलों में विडियोग्राफी और सीसीटीवी केमरे लगाने के लिए निविदा आमंत्रित की गई थी । इंदौर, देवास ,रतलाम सहित प्रदेश के कुछ जिलों में देवास की डिफाल्टर फर्म टीना विडियो विजन ने निविदा की शर्त रखी गई थी की निविदा के साथ इस आशय का शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा की ‘ निविदाकर्ता /फर्म /कंपनी /प्रोपाईटर को पूर्व में किसी भी शासकीय /अर्धशासकीय कार्यालय /विभाग द्वारा ब्लेकलिस्ट नहीं किया गया है’। प्रस्तुत करना होगा।शपथ पत्र असत्य पाया जाने पर तथा इस प्रकार की सूचना पाए जाने पर निविदा निरस्त कर दंड़ात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस शर्त के विपरित फर्म ने झूठा शपथ पत्र इंदौर,देवास ,रतलाम जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारियों को अपने पाक साफ होने का दिया। जबकि फर्म उज्जैन जिले की तराना जनपद पंचायत से वर्ष 2013 से ही ब्लेकलिस्ट में है। इसी कारण से उज्जैन जिले में फर्म की निविदा स्वीकृत होने के बावजूद उसे काम न देकर नई निविदा आमंत्रित की गई थी। उज्जैन जिला के निर्वाचन निविदा के नोडल अधिकारी रहे भविष्य खोबरागडे का इस मामले में कहना था कि हमें जैसे ही इसकी जानकारी हुई हमने जांच करवाई जिसमें फर्म के ब्लेकलिस्ट होने की स्थिति सही पाई।संपूर्ण जांच प्रतिवेदन प्रदेश निर्वाचन को भेजने के साथ ही हमने निविदा निरस्त कर नए सिरे से निविदा आमंत्रित की ।जिलों के निर्वाचन कार्यालय को झूठे शप
डिफाल्टर टीना ने जनपद से की धोखाधडी
उज्जैन जिले की तराना जनपद पंचायत में एनआरईजीएस में जांब कार्ड की फोटाग्राफी का काम वर्ष 2008 में लेकर उसे बिगाडने वाली फर्म को पूरे पांच साल इंतजार के बाद कई नोटिस देने के उपरांत वर्ष 2013 में तत्कालीन जनपद पंचायत के कार्यपालन अधिकारी ने कार्यादेश निरस्त कर प्रतिभूति की राशि राजसात करने के आदेश जारी किए थे।यहां भी फर्म ने जनपद पंचायत से धोखाधडी की थी। निविदा में अमानत राशि का दिया गया चेक क्रमांक 972029 राशि 17 हजार पांच सौ का बाउंस हो गया था। इसे लेकर जनपद सीईओ ने फर्म को इसे लेकर पत्र जारी किया गया था ।साथ ही कार्य 7 दिन में पूर्ण करने का हवाला भी दिया गया फर्म की ओर से इसे हवा में उड़ा दिया गया। मात्र कागजी अमानत पर ही यहां फर्म ने ठेका हासिल कर मनरेगा के जाब कार्ड के काम को मजाक बना दिया ।यहां तक की जितना काम किया वह भी धोखाधडी की श्रेणी का ही किया गया । इसे लेकर भी फर्म को सूचना पत्र जारी किया फिर भी फर्म को कोई असर नहीं पड़ा।
उज्जैन में डिफाल्टर, इंदौर में काम हासिल किए
उज्जैन जिले की तराना जनपद से वर्ष 2013 में डिफाल्टर घोषित की गई देवास की फर्म टीना विडियो विजन ने कुछ माह बाद ही इंदौर जिले की चारों जनपद पंचायतों में मनरेगा के जांब कार्ड बनाने का काम जिला पंचायत में पदस्थ तत्कालीन अधिकारियों से सांठगांठ कर हासिल कर लिए ।तत्कालीन अधिकारियों ने यह जानते हुए भी कथित निविदा स्वीकृत कर दी की फर्म उज्जैन जिले की तराना जनपद से डिफाल्टर घोषित की गई है। इस मामले में शिकायत होने पर इसकी जांच शुरू हुई लेकिन घूटना पेट की तरफ झूका ओर तत्कालीन अधिकारियों को बचाने के लिए प्रपंच कर जांच को दबा दिया गया।वर्तमान में भी यह जांच दबी पड्री है।
आगर में शर्तों का उल्लंघन किया, भूगतान पूरा ले लिया
2013 में डिफाल्टर होने के बावजूद फर्म ने लोकसभा निर्वाचन 2014 में आगर जिले में काम लिया गया।सशर्त ठेका लेने के बाद भी फर्म ने ठेके की सभी शर्तो का उल्लंघन किया।अधिकारियो के आदेश का पालन भी नहीं किया। इसके बावजूद उसे पूरा भूगतान तत्कालीन अधिकारियों ने किया। मामला मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी भोपाल को हुई शिकायत में खूला। 17 बिंदुओं के आधार पर जांच प्रतिवेदन निर्वाचन आयोग ने मांगा। तत्कालीन उप जिला निर्वाचन अधिकारी के एल यादव ने जांच कर प्रतिवेदन तैयार किया लेकिन मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी भोपाल को इससे वंचित रखा गया। जांच प्रतिवेदन में बिंदुवार साफ किया गया है कि फर्म टीना विडियो विजन ने कोई रेकार्ड जमा नहीं कराया,समय पर कैमरे उपलब्ध नहीं कराए जिससे अधिकारियों को परेशानी का सामना करना पड़ा,अधिकारियों के शिकायतों का उल्लेख भी किया गया,अधिकारियों को स्थानीय स्तर पर कैमरे लगवाकर कार्य पूर्ण करवाना पड़ा, जांच दिनांक 01-03-2017 का उल्लेख करते हुए जांच अधिकारी ने लिखा की आज दिनांक तक जिला निर्वाचन कार्यालय में डाटा भी जमा नहीं किया गया।फर्म की और से सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने का कोई अभिलेख नहीं है।विडियोग्राफी का भूगतान बगैर रिटर्निंग अधिकारियों के सत्यापन के ही आदेश कमांक 35 दिनांक 07-01-15 के अनुसार किया गया। लोकसभा निर्वाचन में काम बिगाडने के बाद भी स्थानीय निर्वाचन का काम फर्म को दे दिया गया।
सब कुछ घालमेल,निर्वाचन आयोग पर सवाल
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी भोपाल के पत्र क्रमांक 4/शिकायत/2015/5/5830 दिनांक 14/06/2016 की जांच अव्वल तो 9 माह बाद की गई उस पर भी घालमेंल हो गया।यहीं से निर्वाचन पर सवाल लाजिमी हो गया है। आगर में जांच की गई प्रतिवेदन तैयार किया गया लेकिन कलेक्टोरेट आगर में ही इसे दबा दिया गया। शिकायतकर्ता का आरोप है कि कलेक्टर द्वारा अनियमितता उजागर होने के बाद भी कार्यवाही नहीं की गई। जानकारी मुख्य निर्वाचन कार्यालय पदाधिकारी को नहीं भेजी गई । प्रतिवेदन लोकायुक्त कार्यालय को भेजा गया,।जहां भी अब तक उंट ने करवट तक नहीं ली है।संभवत: कलेक्टोरेट से जानबुझकर ही यह प्रपंच रचा गया । जिससे की सवाल उठने पर बचाव के लिए यह बताया जा सके की मामला लोकायुक्त के संज्ञान में लाया गया था। यह साबित होने पर की लोकसभा 2014 और विधानसभा उप चुनाव के दौरान टीना वीडियों विजन द्वारा एक तो संतोषजनक कार्य नहीं किया गया, कम कार्य किया गया और उसके बाद भी बिलो का बिना परीक्षण किये भुगतान किया गया। जांच के बाद यह साबित हो गया कि बिना परीक्षण किये संस्था को देयक क्रमांक 98-99-100 के माध्यम से कुल 8 लाख 78 हजार 350 रूपये का भुगतान किया गया। लोकसभा चुनाव 2014 के बावत एनएस राजावत अपर कलेक्टर तथा केएल यादव, उप जिला निर्वाचन अधिकारी आगर-मालवा ने जो उससे यह साबित हो रहा है कि बगैर परीक्षण के टीना वीडियों विजन देवास को किये गये इस भुगतान पर जांच में प्रमाणित होने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गई और कार्यवाही से शिकायतकर्ता को अवगत नहीं कराया गया।