rajesh dwivedi
सतना। देर से ही सही लेकिन खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारी मैदान में उतरे और उन्हें अपनी जिम्मेदारी का एहसास हुआ। जहन में ये बात आई कि उनकी ड््यूटी क्या है? और सरकार उन्हें किस बात की तनख्वाह देती है। कुछ प्रतिष्ठानों में छापे मारे तो अनिमियतता भी मिली। गफलत बिना पड़ताल के सामने आई, पर कार्रवाई की कलम चले इसका इंतजार है। शहर के कृष्णा डेयरी व बिसेन एजेंसी में छापेमार कार्रवाई की गई। सेम्पल लिये गए जिन्हें जांच के लिए राज्य प्रयोगशाला भेजा जाएगा। हालांकि पंचनामा मौके पर ही तैयार कर लिया गया। जानकारी के अनुसार दूध डेयरी के घी में डालडा मिला हुआ पाया गया है।
... फिर काहे की जांच
जानकारों के अनुसार मुख्त्यिारगंज स्थित कृष्णा डेयरी में घी का सेम्पल लिया गया, जबकि सेम्पल की जरूरत ही नहीं थी। हालांकि कार्रवाई की औपचारिकता के लिए भले ही सेम्पलिंग की कार्रवाई की गई, लेकिन खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को घी पहले ही अमानक मालुम चला। शक के आधार पर जब उसे टटोला गया तो हैरान कर देने वाली बात सामने आई। दरअसल घी में डालडा मिलाया गया है। सौ रुपए किलो के खाद्य पदार्थ को पांच सौ रुपए में बेंचा जा रहा है। यूं तो ये सेम्पल राज्य प्रयोगशाला भेजा जाएगा, लेकिन इसमें मिलावट साबित हो चुकी है। इसके अलावा बिसेन एजेंसी से बिकानो कंपनी का पेठा एवं खामन (ढोकला पाउडर) जो इंदौर के तलाटी कंपनी का है इनके भी सेम्पल लिए गए हैं। कार्रवाई के दौरान वेदप्रकाश चौबे, शीतल सिंह व सीमा सिंह ने सेम्पल लिए।
मिठाई दुकानों से परहेज है क्या?
दीवाली नजदीक है, खोवे की मंडी भी खूब सज रही है। रेडीमेड भी बाजार में उतर चुका है, आवक कहां से आती है यह बताने की जरूरत नहीं है। दूसरी ओर मिठाइयां रंग-बिरंगी कोई काजू-कतली तो कोई केक, तो कहीं कलाकंद के नाम पर बिक रही हैं। ये 24 कैरेट हैं इसकी गांरटी तो दुकानदार भी नहीं दे सकता। फिर अफसरों को इनके यहां कार्रवाई में परहेज क्यों? अरे सेम्पल ही लेना है, अमानक न निकले तो व्यापारी से दुश्मनी नहीं हो जाएगी। लिहाजा बेहतर होगा इन दुकानों में भी दबिश दी जाए। खानापूर्ति से कब तक काम चलेगा?