भाजपा की राह में रोड़ा बने पूर्व विधायक

भाजपा की राह में रोड़ा बने पूर्व विधायक

आलाकमान की चुप्पी देख सकते में जिला संगठन

भोपाल। मप्र में लगातार चौथी बार सरकार बनाने के लिए भाजपा जहां एक ओर फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही है। वहीं दूसरी ओर संगठन से जुड़े सदस्य दल को दीमक की तरह खोखला करने से बाज नहीं आ रहे हैं। हालिया मामला प्रदेश के अनूपपुर जिले की कोतमा सीट का है। जहां पूर्व विधायक दिलीप जायसवाल की पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते प्रदेश नेतृत्व की चुप्पी को देखकर जिला संगठन के सदस्य सकते में आ गए हैं। [caption id="attachment_141838" align="aligncenter" width="1024"] वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में विजयी कांग्रेस प्रत्याशी मनोज अग्रवाल का अपने घर में भव्य स्वागत करते हुए दिखाई दे रहे हैं भाजपा के पूर्व विधायक प्रदीप जायसवाल।[/caption] जबकि बीते 2013 के चुनावों में सामने आई पार्टी विरोधी गतिविधियों को देखते हुए इनको अनुशासन समिति द्वारा नोटिस भी थमाया गया था। लेकिन कार्रवाई नहीं होने से न केवल इनके हौसले बुलंद हो गए, बल्कि खुलकर विरोधी दल कांग्रेस के साथ दिखाई दे रहे हैं। कांग्रेस विधायक मनोज अग्रवाल का अपने घर पर स्वागत करने की सोशल मीडिया में वायरल हुई तस्वीरें इस बात की पुष्टि भी करती है। बताया जाता है कि संबंधों को निभाने के लिए ही जायसवाल ने वर्ष 2013 के चुनावों में मतदान तक नहीं किया था। तब संभागीय संगठन मंत्री मनोज सरैया ने इसे गंभीरता के साथ लिया था और संगठनात्मक अनुशासन बनाए रखने की गरज से जिला संगठन की नाराजगी देखकर कार्रवाई का भरोसा भी दिलाया था। लेकिन उनके हटते ही यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अब जबकि जमीनी कार्यकर्ता भाजपा के लिए एक-एक वोट जुटाने में लगे हैं, तो इनकी पार्टी विरोधी गतिविधियां किए कराए पर पानी फेरने लगी है। भ्रष्टाचार देख संगठन ने किया किनारा बताया जाता है कि विधायक रहते प्रदीप जायसवाल के सामने आए भ्रष्टाचार की वजह से भाजपा ने किनारा कर लिया। क्योंकि इनके परिजनों के द्वारा सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा और जबरिया चंदा खोरी की शिकायतों के चलते पार्टी की छवि यहां खराब हो रही थी। आलम यह था कि इनकी करतूतों की शिकायत अज्ञात व्यक्तियों द्वारा छपवाए गए पंपलेटों के माध्यम से प्रदेश भाजपा कार्यालय तक पहुंचने लगी थी। लिहाजा विवादों में आए शख्स से पीछा छुड़ाते हुए संगठन ने टिकट नहीं दिय था। इसके बाद अनुशासन समिति ने दिलीप जायसवाल व अन्य पर आरोप लगाये थे कि टिकट न मिलने के कारण दिलीप जायसवाल, पारस जायसवाल और विजय जायसवाल के द्वारा ग्राम बिलटुकरी और जरार्टोला में एक जाति विशेष के लोगों की बैठक लेकर पार्टी के विरूद्ध न केवल प्रचार किया गया, बल्कि पार्टी के तात्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की चुनावी सभाओं का भी खुलकर विरोध किया गया था। हार का बदला लेने को आतुर हैं कार्यकर्ता भाजपा का गढ़ कही जाने वाली इस सीट पर बीते 2013 में हुई हार का बदला लेने के लिए विधानसभा क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ता आतुर नजर आ रहे हैं। लेकिन संगठन के ही दिलीप जायसवाल की गतिविधियों के कारण किए-कराए पर पानी फिर रहा है। संगठन से जुड़े पदाधिकारियों की माने तो भाजपा कोतमा विधानसभा की सीट महज 1546 वोटों से हार गई थी। लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के जनहितैषी कार्यों को देखते हुए इस हार के अंतर को पाटना कोई मुश्किल काम नहीं है। यदि लोगों को भ्रमित न किया जाए, तो भाजपा यहां भारी मतों से जीत सकती है। क्योंकि पूर्व में प्रत्याशी रहे राजेश सोनी पकड़ जनता के बीच तगड़ी है। यदि उन्हें इस बार पार्टी टिकट देती है तो अन्य दावेदारों के मुकाबले भाजपा के ज्यादा सशक्त प्रत्याशी साबित हो सकते हैं। वहीं लोगों का यह भी कहना है कि पूर्व विधायक प्रदीप जायसवाल की गतिविधियों के चलते क्षेत्र की जनता एवं कार्यकर्ता दोनो ही नाराज है। ऐसे में यदि पार्टी ने सोच-समक्षकर निर्णय नहीं लिया तो नुकसान उठाना पड़ सकता है।