awdhesh dandotia
मुरैना/अम्बाह। लोक निर्माणविभाग बाह आगरा उसेथ पिनाहट घाट पर समयावधि पूर्ण होने के बाद भी पुल निर्माण नही कराया हैं इस कारण नदी पर मजबूरन लोग मौत का सफर कर रहे है एसा लगता हैं की प्रशासन किसी बडे हादसे के इंतजार मे बैठा है।

करीब सौ किलोमीटर के ऐरिया मे मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश की सीमाओं को जोडने या यू कहिये कि करीब तीन सो गांवो के निवासियों के आवागमन का एक मात्र इकलौता सहारा पिनाहट घाट चम्बल नदी पर बनने वाला पैंटून पुल आज तक नही बन पाया है। परिणाम स्वरूप यहां आज भी स्टीमर से आवागमन कराया जा रहा है। विदित है कि इस पुल का निर्माण लोक निर्माण विभाग बाह आगरा के द्वारा कराया जाता है। नियमानुसार 15 अक्टूबर तक पुल चालू हो जाना चाहिये किन्तु ऐसा नही हुआ। ऐसा लगता है कि लोक निर्माण विभाग किसी बडी अनहोनी के इंतजार मे बैठा है वर्तमान मे चुनाव के चलते यहां स्टीमर का आवागमन बंद है। बुधवार को यहाँ बडा हादसा होते-होते बचा। पुल न बनने के कारण क्योरी घाट व रायपुर घाट पर चम्बल नदी से लोग पानी मे ट्रैक्टर ट्राली निकालकर इस पार से उसपार व उस पार से इस पार आ जा रहै है। किन्तु बुधवार सुबह मध्यप्रदेश की ओर से नदी मे आ रहा एक ट्रैक्टर नदी मे डूब गया तब ट्रैक्टर के शोर मचाने पर उत्तर प्रदेश के किनारे पर खडे लोगो ने उनको जाकर नाव के द्वारा बचा लिया और मोके पर पहुंची जेसीबी के द्वारा करीब दो घण्टे की कडी मशक्कत के बाद ट्रैक्टर-ट्रोली को भी नदी से निकाल लिया यदि किनारे पर खडे लोग जरा सी भी देर लगा लेते तो चालक परिचालक नदी मे डूब जाते चालक के अनुसार पुल न बनने के कारण वे रोज इस रास्ते से निकलते है, किन्तु आज नदी के बीचों बीच तेज वहाव मे पहुच कर रास्ता भटक गये इस कारण ट्रैक्टर गहराई की ओर चला गया।वही इस जगह से सैकडों लोग व वाहन प्रतिदिन नदी के पानी मे घुसकर आवागमन कर रहे है, किन्तु आज तक इसे न तो रोका गया ना ही पुल निर्माण हो सका हैं जिससे ये समस्या बढ़ती जा रही है ऐसा लग रहा है की शायद लोकनिर्माण विभाग किसी बडे हादसे के इंतजार मे बैठा है।
वन विभाग की भी है मिली भगत
क्योरी घाट रायपुर पर पहले अवैद्य नाव के द्वारा आवागमन चलता रहा और अब खुलेआम नदी के पानी मे वाहन दौड रहै।जिससे कभी भी अनहोनी तो हो ही सकती है साथ ही घडियालो को भी बहुत बडा खतरा है, किन्तु इतना सब वन विभाग खुलेआम होता देख रहा है। इससे तो यही प्रतीत होता है।कि ये सबकुछ वन विभाग की मिली भगत से हो रहा है।